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Raj Thakre

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दिल दहला देने वाली घटनाः दो बच्चों के साथ कुएं में कूदी मां, दोनों मासूम की मौत, महिला की बची जान


 मध्यप्रदेश के खजुराहो के एक गांव में दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है।

किसी बात से नाराज महिला अपने दो मासूम बच्चों के साथ कुएं में कूद गई। इस दर्दनाक हादसे में दोनों मासूम बच्चों की मौत हो गई है।

महिला को किसी तरह बचा लिया गया। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

 

 


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दर्दनाक हादसाः शिकार के लिए बिछाए करेंट की चपेट में आने से दो सगे किसान भाइयों की मौत


अजयारविंद नामदेव, शहडोल। जिले में शिकार के लिए लगाए गए करेंट की चपेट में आने से दो सगे भाइयों की दर्दनाक मौत हो गई है। यह दिल दहला देने वाली घटना शहडोल जिले के ब्यौहारी के खड्डा गांव के लोढ़ा धार नाले के पास की है।

ग्राम खड्डा के रहने वाले दो सगे भाई कैलाश और छोटे भाई छोटू कोल खेत से लौट रहे थे, जैसे ही दोनों जंगल के रस्ते लोढ़ा धार नाले के पास पहुंचे वहां शिकार के लिए लगाए करेंट की चपेट में आ गए।

 करेंट की चपेट में आने से बड़े भाई कैलाश की मौत हो गई, वहीं छोटा भाई छोटू गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे उपचार के लिए अस्पताल ले गए,

जहां उसने दम तोड़ दिया। पुलिस ने बिजली तार जब्त कर मामले की जांच में जुट गई है। शिकार के लिए लगाए गए करेंट की चपेट में आने से किसान की मौत का यह कोई पहला मामला नहीं है।

 इसके पहले गोहपारू थाना क्षेत्र के उमरिया गांव में करेंट की चपेट में आने से किसान की मौत हुई थी। इसी प्रकार देवलौंद थाना क्षेत्र में एक युवक की मौत हुई थी।


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सूर्यमित्र कौशल विकास योजना क्या है? जानने के लिए क्लिक करे


सूर्यमित्र कौशल विकास योजना: सौर ऊर्जा में करियर बनाने का सुनहरा अवसर

भारत सरकार ने अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में रोजगार और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से "सूर्यमित्र कौशल विकास योजना" की शुरुआत की है। यह योजना युवाओं को सौर ऊर्जा क्षेत्र में कौशल विकसित करने का अवसर देती है, जिससे उन्हें रोजगार के बेहतर अवसर मिलते हैं और देश में स्वच्छ ऊर्जा के प्रयोग को प्रोत्साहन मिलता है। आइए जानते हैं इस योजना के बारे में विस्तार से और यह कैसे आपके करियर को नई दिशा दे सकती है।

सूर्यमित्र कौशल विकास योजना क्या है? 
सूर्यमित्र योजना भारत सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य सौर ऊर्जा के क्षेत्र में युवाओं को कुशल बनाना और रोजगार के नए अवसर प्रदान करना है। इसे मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी (MNRE) द्वारा संचालित किया जाता है। इस योजना के तहत युवाओं को सोलर पैनल इंस्टॉलेशन, रखरखाव और मरम्मत का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे वे इस क्षेत्र में कार्यरत कंपनियों में नौकरी पा सकें या अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर सकें।

सूर्यमित्र योजना के उद्देश्य और फायदे
1. रोजगार सृजन: सौर ऊर्जा क्षेत्र में प्रशिक्षित युवाओं की मांग बढ़ रही है, जिससे नौकरी के नए अवसर पैदा हो रहे हैं।
2. पर्यावरण संरक्षण: सौर ऊर्जा के माध्यम से प्रदूषण को कम कर पर्यावरण की सुरक्षा में योगदान दिया जा सकता है।
3. तकनीकी दक्षता: प्रशिक्षु सोलर पैनल, इन्वर्टर और अन्य उपकरणों का तकनीकी ज्ञान प्राप्त करते हैं, जो उन्हें कुशल बनाता है।
4. स्वरोजगार के अवसर: इस योजना के तहत प्राप्त प्रशिक्षण से युवक-युवतियाँ अपना सोलर इंस्टॉलेशन बिजनेस भी शुरू कर सकते हैं।

सूर्यमित्र योजना में प्रशिक्षण प्रक्रिया
इस योजना के तहत प्रशिक्षण को तीन मुख्य चरणों में विभाजित किया गया है:
- सैद्धांतिक ज्ञान: सौर ऊर्जा, उसके उपकरणों और तकनीकों के बारे में पढ़ाया जाता है।
प्रैक्टिकल ट्रेनिंग: सोलर पैनल की स्थापना, रखरखाव और मरम्मत के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाता है।
प्रमाणन: ट्रेनिंग के बाद एक प्रमाण पत्र दिया जाता है, जो सौर ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार पाने में सहायक होता है।

सूर्यमित्र योजना से मिलने वाले करियर के अवसर
सूर्यमित्र योजना से प्रशिक्षित युवा कई प्रकार की नौकरियाँ पा सकते हैं, जैसे:
- सोलर पैनल तकनीशियन: सौर ऊर्जा संयंत्रों में तकनीकी कार्यों का निष्पादन।
- सोलर इंस्टॉलेशन विशेषज्ञ: सोलर पैनल की इंस्टॉलेशन और मरम्मत में विशेषज्ञता।
- मेंटेनेंस इंजीनियर: सोलर पावर सिस्टम के रखरखाव में सहायक।
स्वरोजगार: स्वयं का सोलर इंस्टॉलेशन और मरम्मत का व्यवसाय शुरू कर सकते हैं।

चुनौतियाँ और उनके समाधान
ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी और प्रशिक्षण केंद्रों की कमी इस योजना की मुख्य चुनौतियाँ हैं। इनसे निपटने के लिए सरकार डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का प्रयोग कर रही है और अधिक प्रशिक्षण केंद्र खोलने की योजना बना रही है।

 


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Raj Thakre

Nov. 2, 2024

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आगामी पंच दिवसीय दीप पर्व महोत्सव का महत्व एवम अर्थ


अर्थ

1 धनतेरस- समुद्र मंथन से आयुर्वेद अमृत कलश लिये प्रकट हुये चौदहवें रत्न भगवान् धनवंतरी आपको, आपके पूरे परिवार को उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु व उत्कृष्ट रोग-प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करें.

Govardhan puja

2 रूप चतुर्दशी-आप को व आपके परिवार को अप्रतिम सौंदर्य व रूप यौवन प्रदान करें - पहला सुख निरोगी काया

3 दीपावली-देवी लक्ष्मी आप पर इतनी प्रसन्न हो  कि आप के घर को धन धान्य से परिपूर्ण कर आप के पास ही स्थाई वास करे-
दूजा सुख घर मे हो माया

4 गोवर्धन-आप के सम्पूर्ण खेत-खलिहान, यानी आय के स्त्रोत इतने फलें-फूलें कि आपकी अनन्त पीढ़ियों तक किसी भी वस्तु का अभाव न हो'

5 भैया दूज-भाई बहन में अटूट प्रेम दे,बहन कभी अपने आप को असहज महसूस न करे और बहन द्वारा भाई के माथे पर लगाया गया तिलक स्वर्णिम पुष्प की तरह हमेशा महकता रहे-

यह पांच दिवसीय दीप महोत्सव आप को उत्तम स्वास्थ्य, सर्वलक्ष्मी प्राप्ति, सुख-समृद्धि, सर्व आनंद, शांति, स्फूर्ति और ऊर्जा दायक हो, ‌सभी का कल्याण हो..अनंत मंगलकामनाओं सहित!!
🌹🪔🙏🏻🪔🙏🏻🪔🌹  जय श्री कृष्ण 🙏

 


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Raj Thakre

Nov. 1, 2024

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Maharashtra Politics Live Updates Today:


Maharashtra Politics Live Updates Today: महाराष्ट्रात निवडणुकांची धामधूम सुरु झाली आहे. अवघ्या १९ दिवसांनी महाराष्ट्र लोकशाहीच्या उत्सवाला म्हणजेच विधानसभा निवडणुकीला सामोरा जाणार आहे. महाराष्ट्रात महायुती विरुद्ध महाविकास आघाडी असा सामना आहे. हा सामना कोण जिंकणार? हे पाहणं महत्त्वाचं असणार आहे. तसंच उमेदवार याद्या जाहीर होत असताना काहीसं नाराजीचं चित्र आहे. अनेक मतदारसंघांमध्ये बंडखोरीही झालेली दिसते आहे. ४ नोव्हेंबरला उमेदवारी अर्ज मागे घेण्याचा दिवस आहे. त्यादिवशी नेमकं काय होतं हे पाहणं महत्त्वाचं असणार आहे. माहीममध्ये मनसेने अमित ठाकरेंना उमेदवारी दिली आहे. या ठिकाणी एकनाथ शिंदेंच्या शिवसेनेने सदा सरवणकर यांना तिकिट दिलंय. सदा सरवणकर निवडणूक लढवण्यावर ठाम आहेत. या आणि निवडणुकीच्या संदर्भातल्या बातम्यांचा आढावा आपण लाईव्ह ब्लॉगच्या माध्यमातून घेणार आहोत.

देवेंद्र फडणवीस आणि त्यांचा गुजराती कँप विजयी होणार नाही-संजय राऊत
महाराष्ट्राच्या लोकांनी ठरवलं आहे की देवेंद्र फडणवीस आणि त्यांचा गुजराती कँप यांना निवडणुकीत विजयी करायचं नाही हे जनतेने ठरवलं आहे. हा जनतेचा आत्मविश्वास आहे, अतिआत्मविश्वास नाही. तसंच मनसेला मदत करणं या मागे भाजपाचा हेतू हा फक्त शिवसेनेची मतं कापण्याचा आहे. हे त्यांचं राष्ट्रीय धोरण आहे अशी बोचरी टीकाही संजय राऊत यांनी केली आहे.
  

सदा सरवणकर मुख्यमंत्र्यांशी चर्चा केल्यानंतरही माहीममधून लढण्यावर ठाम, सूत्रांची माहिती
आगामी विधानसभा निवडणुकीत राज्यांत अनेक महत्वाच्या लढती पहायला मिळणार आहेत. त्यापैकीच एक म्हणजे माहीम येथील निवडणूक . महाराष्ट्र नवनिर्माण सेनेचे अध्यक्ष अमित ठाकरे हे माहीममधून निवडणूक लढवणार असून त्यामुळे तेथे मनसे वि. शिवसेना ठाकरे गट वि. शिवसेना शिंदे गट अशी बिग फाईट पहायला मिळणार आहे. माहीम मतदारसंघातून मनसेकडून अमित ठाकरे यांच्याविरोधात शिंदे गटाचे विद्यमान आमदार सदा सरवणकर हे रिंगणात उतरले आहेत. महायुतीने अमित ठाकरे यांना पाठिंबा देण्याचे ठरवल्यामुळे सरवणकर यांनी फॉर्म मागे घ्यावा यासाठी त्यांची मनधरणी करण्यात येत आहे. मात्र सरवणकर हे अद्याप आपल्या भूमिकेवरच ठाम आहेत. अशी माहिती समोर येते आहे. त्यामुळे माहीमच्या जागेचा पेच भाजपासह महायुती सोडवणार का? हा प्रश्न आहे.

 
 
 

 

 


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Oct. 31, 2024

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दीपावली एवं मध्यप्रदेश स्थापना दिवस


दीपावली एवं मध्यप्रदेश स्थापना दिवस की मेरी ओर से आपको मंगलकामनाएं। यह शुभ अवसर हमारे प्रदेश की सांस्कृतिक गरिमा, प्रगति और विकास यात्रा का प्रतीक है। प्रदेश सरकार की अटूट प्रतिबद्धता से हर क्षेत्र में विकास के नए आयाम स्थापित हो रहे हैं, चाहे वह शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, बुनियादी ढांचे का विस्तार हो या फिर जनकल्याण की योजनाएं।

मध्यप्रदेश निरंतर उन्नति की ओर अग्रसर है, जहां हर नागरिक की भागीदारी और सशक्तिकरण सुनिश्चित किया जा रहा है। दीपावली का यह पावन पर्व आपके जीवन में नई खुशियों का प्रकाश लेकर आए और हमारा प्रदेश इसी तरह प्रगति के पथ पर अग्रसर रहे, यही बाबा महाकाल से प्रार्थना है।

दीपावली एवं मध्यप्रदेश स्थापना दिवस की आपको पुनः मंगलकामनाएं।🙏🏻
-- 
आपका
डॉ. मोहन यादव 
--
सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जुड़ें 


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Raj Thakre

Oct. 30, 2024

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81 लाख किसानों के खाते में धनतेरस के उपलक्ष मे धन राशि‍ ट्रांसफर ,मंदसौर से सीएम ने भेजे 1624 करोड़ रुपए


भोपाल: मध्य प्रदेश के किसानों को सरकार ने धनतेरस के दिन बड़ी सौगात दी है। सरकार ने 81 लाख किसानों के खाते में आज मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना की राशि को ट्रांसफर किया है। सीएम मोहन यादव ने मंदसौर से किसानों के खाते में करीब 1624 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए हैं। पात्र किसानों के खाते में दो-दो हजार रुपए डाले गए हैं। इसके बाद प्रदेश के किसानों की खुशी दोगुनी हो गई है।

मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना की दूसरी राशि

दरअसल, मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत सरकार सभी किसानों को साल में छह हजार रुपए देती है। यह राशि किसानों को तीन किस्तों में दी जाती है। 2024-25 के लिए पहली किस्त जुलाई 2024 में जारी की गई थी। वहीं, सीएम मोहन यादव ने मंदसौर से किसानों के खाते में रुपए ट्रांसफर किए हैं। प्रदेश में मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के 81 लाख किसान पात्र हैं। सीएम ने कुल 1624 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए हैं।

12,000 रुपए की राशि हर साल मिलता

मध्य प्रदेश में किसानों को हर साल 12,000 रुपए की राशि मिलतीहै। छह हजार रुपए की राशि केंद्र की तरफ प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत मिलता है। वहीं, 6,000 रुपए की राशि मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत मिलता है। दोनों राशि मिलाकर कुल 12,000 रुपए हो जाते हैं। इस हिसाब से देखें तो मध्य प्रदेश में किसानों को हर महीने सरकार से 1000 रुपए मिलते हैं।


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Raj Thakre

Oct. 29, 2024

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देखि‍ये कब आएगी लाड़ली बहना योजना की 18 वीं किस्त दिपावली के बाद मे या पहले ।


लाड़ली बहना योजना की किस्त आम तौर पर हर महीने की 10 तारीख को जारी की जाती है. हालांकि, कई बार समय से पहले भी किस्त जारी की जा चुकी है. 17वीं किस्त 5 अक्टूबर को जारी की गई थी. 18वीं किस्त को लेकर कुछ बातेंः 

·       सरकारी सूत्रों के मुताबिक, त्योहारों के चलते 18वीं किस्त 27 अक्टूबर को जारी की जा सकती है. 

·       अगर यह राशि दिवाली से पहले नहीं दी जाती, तो यह राशि नवंबर के पहले सप्ताह में यानी 5 नवंबर 2024 को सीधे लाभार्थियों के खातों में जमा की जा सकती है. 

·       पहले भी रक्षाबंधन और दशहरा के त्योहार पर यह राशि 10 तारीख के पहले ट्रांसफ़र की जा चुकी है. 

लाड़ली बहना योजना की शुरुआत मई 2023 में हुई थी. इस योजना के तहत, पात्र महिलाओं को हर महीने 1,250 रुपये दिए जाते हैं. 

जानकारी के लिए बता दें कि अब तक हर महीने की 10 तारीख तक यह राशि बहनों के खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है। लेकिन नवबंर माह में दिवाली, छठ पूजा के काऱण इसके जल्दी मिलने की उम्मीद है। पहले भी रक्षाबंधन और दशहरा के त्यौहार पर यह राशि 10 तारीख के पहले ट्रांसफर कर दी गई थी।

कब आएगी 18 वीं किस्त (Ladli Behna Yojana 18th Installment)
बता दें कि दिवाली का त्योहार 31 अक्टूबर को होने के कारण मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना की 18वीं किस्त धनतेरस तक आने की अटकलें लगाई जा रही है। हालांकि 18वीं किस्त जारी करने को लेकर राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। इसलिए अब माना जा रहा है कि ये किस्त हर महीने की तरह इस बार नवंबर की 10 तारीख को ही आएगी।

ये है बैलेंस चेक करने का तरीका (Check Status of Ladli Behna Yojana 18th Installment)
सबसे पहले ऑफिशियल वेबसाइट https://cmladlibahna.mp.gov.in/ पर जाएं।

अब मेन पेज पर जाकर आवेदन एवं भुगतान की स्थिति वाले ऑप्शन पर क्लिक करें।

- इसके बाद दूसरे पेज पर आ जाएंगे, यहां पर अपना आवेदन नंबर या सदस्य समग्र क्रमांक नंबर दर्ज करें।

- कैप्चा कोड को सबमिट करने के बाद, मोबाइल पर ओटीपी भेजा जाएगा।

- मोबाइल नंबर पर आए ओटीपी को दर्ज करके वेरीफाई कर लें।

- ओटीपी को वेरिफाई करने के बाद सर्च वाले ऑप्शन को क्लिक करते ही आपका पेमेंट स्टेटस ओपन हो जाएगा।


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Raj Thakre

Oct. 29, 2024

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पीपल के पत्तो के अनोखे (अनगिनत) फायदे



पीपल के पेड़ पीपल के पेड़ का पौषणिक मूल्य पीपल के पेड़ के स्वास्थ लाभ  पीपल के पेड़ के उपयोग पीपल के पेड़ के साइड इफेक्ट & एलर्जी पीपल के पेड़ की खेती
पीपल का पेड़, जिसे बौद्ध धर्म में बोधि सत्व के रूप में भी जाना जाता है, एक प्राचीन काल से अपने आयुर्वेदिक लाभों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह कई पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण स्वास्थ्य लाभ की पूरी श्रृंखला प्रदान करता है। यह आपके बुखार को कम करने में मदद कर सकता है और यहां तक ​​कि आपकी ठंड से भी छुटकारा दिला सकता है। यह अस्थमा के इलाज में मदद करता है। यह आंखों के दर्द का इलाज करता है और मौखिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है क्योंकि यह मुंह में बैक्टीरिया और साथ ही दांतों पर दाग को भी खत्म करता है । इसका उपयोग कान के संक्रमण के इलाज के लिए भी किया जा सकता है। यह पीलिया के लिए एक लोकप्रिय उपचार है। यह पाचन में मदद करता है क्योंकि यह कब्ज का इलाज करता है और पेचिश से तुरंत राहत भी देता है। यह हृदय रोगों को रोकता है और इलाज करता है और मधुमेह रोगियों के लिए भी बहुत अच्छा है क्योंकि यह रक्त में शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह भारी नकसीर के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
पीपल के पेड़
पीपल के पेड़ को हिंदू और बौद्ध दोनों में एक पवित्र पेड़ माना जाता है। यह अंजीर के पेड़ की एक प्रजाति है और शहतूत परिवार से संबंधित है। इसकी बड़ी पत्तियाँ होती हैं जो औषधीय गुणों से भरी होती हैं, जिससे यह एक ऐसी दवा बन जाती है जिसका उपयोग मुख्यतः चिकित्सा और आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है। यहां तक ​​कि इसकी छाल, शाखाओं और जड़ों में औषधीय गुण होते हैं, और इसलिए पौधे के रूप में यह बेहद फायदेमंद है।
पीपल के पेड़ का पौषणिक मूल्य
पीपल के पेड़ का उपयोग मुख्य रूप से इस तथ्य के कारण किया जाता है कि यह विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह विभिन्न पोषक तत्वों से भरा होता है जैसे कि फ्लेवॉइड्स, टैनिक एसिड, एसपारटिक एसिड, स्टेरॉयड, मेथिओनिन , विटामिन, और ग्लाइसिन । ये बेहद महत्वपूर्ण पोषक तत्व हैं और ठीक से लेने पर शरीर के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
पीपल के पेड़ के स्वास्थ लाभ


 
नीचे उल्लेखित सेब के सबसे अच्छे स्वास्थ्य लाभ हैं
यह बुखार के साथ मदद करता है
पीपल के पेड़ के कई लाभों में से एक यह है कि यह बुखार के इलाज में मदद करता है । यदि आप इस पेड़ से कुछ कोमल पत्तियां लेते हैं और इसे दूध और चीनी के साथ उबालते हैं , तो यह आपको एक शक्तिशाली मिश्रण देगा जो आपको अपने बुखार को कम करने के लिए दिन में कम से कम दो बार पीना चाहिए। यह मिश्रण जुकाम पर भी बहुत अच्छा काम करता है ।
यह अस्थमा का इलाज करता है
अस्थमा एक बेहद खतरनाक समस्या है क्योंकि यह आपकी सांस लेने में बाधा डालती है, जिससे आपके फेफड़ों में और आपके शरीर के अन्य अंगों में ऑक्सीजन को जाने से रोका जा सकता है। अधिकांश शहरों में प्रदूषण की बढ़ती मात्रा के कारण, अस्थमा एक बहुत ही आम बीमारी बन गई है, खासकर छोटे बच्चों में। यदि आप पीपल के पेड़ की पत्तियों (या उसी का पाउडर संस्करण) का उपयोग करते हैं और इसे दूध में उबालते हैं , तो यह आपको एक मिश्रण देगा जो आप अपने अस्थमा की मदद से दिन में दो बार पी सकते हैं।
यह आंखों के दर्द का इलाज करता है
आँखों का दर्द कई कारणों से हो सकता है। यह बहुत असहज हो सकता है और यहां तक ​​कि अगर यह बहुत बुरा हो तो आपकी आंखों की रोशनी को प्रभावित कर सकता है। पीपल के पत्तों का उपयोग आंखों के दर्द के इलाज के लिए किया जाता है। पीपल के पेड़ का दूध, जो पत्तियों से लिया जाता है, आंखों में दर्द के साथ मदद करता है।
यह पीलिया का इलाज कर सकता है
पीलिया एक अत्यंत सामान्य बीमारी है । जब आपको पीलिया होता है, तो आपको एक लंबी भर्ती अवधि से निपटना पड़ता है, और बीमारी के जाने के बाद कम से कम छह महीने के लिए आहार प्रतिबंध। यह बेहद असुविधाजनक होता है। पीपल के पेड़ की मदद से पीलिया का इलाज किया जा सकता है। आप पत्तियों का रस निकाल सकते हैं और इसमें थोड़ी सी चीनी मिला सकते हैं। यदि आप एक दिन में 2-3 बार इस रस को पीते हैं, तो आप अपने पीलिया का इलाज आसानी से कर सकते हैं।
यह कब्ज के साथ मदद करता है
कब्ज सिर्फ एक असुविधाजनक समस्या से अधिक है। यह आपके सिस्टम के भीतर विभिन्न समस्याओं का नेतृत्व करते हैं अगर ठीक से नहीं निपटा है, तो अंत में बवासीर जैसे दर्दनाक स्थितियों को भी जन्म दे सकता है। अपने पाचन तंत्र को नियमित और ठीक से साफ़ करना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपके शरीर के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करता है। यहीं पर पीपल के पेड़ का प्रमुख रूप से इस्तमाल होता है। पीपल के पत्तों को गुड़ और सौंफ के बीज के पाउडर के साथ मिलाया जा सकता है । यह शंखनाद आपके सोने से ठीक पहले दूध के साथ किया जाना चाहिए। यह आपके सिस्टम को साफ करने और कब्ज से राहत प्रदान करने में मदद करेगा।
यह मधुमेह रोगियों की मदद करता है
डायबिटीज एक बेहद खतरनाक बीमारी है। यह भी एक बहुत ही सामान्य बीमारी है और अगर इसे नियंत्रित या कुशलता से प्रबंधित नहीं किया जाता है, तो समस्याओं की कतार हो सकती है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस दवा की शाखा चुनते हैं, सभी डॉक्टर आपको बताएंगे कि मधुमेह से निपटने के लिए सबसे महत्वपूर्ण तरीका क्या है। पीपल का पेड़ यहां आपकी मदद कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह आपके रक्त में शर्करा को कम करने में आपकी मदद कर सकता है। पीपल का फल, साथ में पीसा हुआ हरिताकी फल पाउडर आप सभी की जरूरत है। यह आपकी रक्त शर्करा को कम करने में आपकी सहायता करेगा।



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Raj Thakre

Oct. 29, 2024

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पैक्स संस्था कर्मचारी के साथ छलावा



    पैक्स कर्मचारियो द्वारा सितम्बर 2023 मै म.प्र. सयुक्त सहकारी (पैक्स) कर्मचारी महासंघ भोपाल के आव्हान वेतनमान व समिति की भुगतान क्षमता न होने के कारण कर्मचारी को कलेक्ट्रर दर से भुगतान नही से आन्दोलन किया गया । जिसमे प्रभारी प्रबंधक , सहायक प्रबंधक , लेखापाल , आपरेट्रर , लिपिक , कैशियर , विक्रेता , कनिष्ठ विक्रेता के साथ साथ भृत्य व चौकीदार सभी बढचड कर हिस्सा लिये जब जाकर 4 अक्टुम्बर 2023 को राज्य शासन 3 ,लाख प्रति वर्ष प्रबंधकीय अनुदान वित्त विभाग के द्वारा स्वीकृत के साथ साथ पुर्वानुसार लेम्प्स को 48 हजार व शहरी संस्था को 24 हजार  दिया जाने के साथ साथ विक्रेताओ को 3 हजार रुपये प्रति माह प्रबंधन हेतु प्रति वर्ष आदेश दिया गया ओर *आयुक्त सहकारिता विभाग द्वारा आदेश पत्र क्रमाक/साख/योजना/2024/1582 भोपाल दिनांक 24-7-2024 को स्पष्ट आदेश* दिये गये ।
      अब यहा से यहां से कर्मचारियो प्रभारी प्रबधंक , प्रसासक , व शाखा प्रबधंक द्वारा भेदभाव कि निती अपना कर सिर्फ चार कर्मचारियो को मय एरियर्स सहित प्रबधंकीय अनुदान राशी के भुगतान मै बहुत बढा छलावा करते हुये इन कर्मचारियो को लाभ दिया गया जिसमे संस्था के प्रभारी प्रबंधक , आपरेट्रर , लिपिक , मेन गोदाम विक्रेता व भृत्य व चौकीदार मय ऐरिर्यस सहित प्रबंधीय अनुदान को आपस मै बाटकर वाहवाही लुट रहे है ।  जबकि आदेश मै स्पष्ट लिखा है कि चार कर्मचारी खाका  बना सभी सामानता के रुप मै दिया जाने का निर्देश है  चार कर्मचारी से अधिक कर्मचारी हो तो 25 हजार प्रतिमाह तो सभी अनुपातिक नियम अपना कर सभी कर्मचारियो मै सामान रुप से भुगतान का आदेश किया गया है।
   यदपि ऐसा किया गया है तो सभी कर्मचारियो के मध्य यह बात रखना हमारा दायित्व है कि सभी को सामानता को दृष्टीगत रखते हुये सभी कर्मचारी सेवा नियम मै पदधारित को प्रबंधकीय अनुदान का लाभ दिया जाये अगर ऐसा नही किया गया तो एक तरह से शेष कर्मचारियो के साथ छलावा होगा जो हमे स्वीकार नही है ।
       शीग्र ही जिला स्तर पर शाखाओ मै भुगतान किया गया है उनके विरुध उचित कार्यवाही किया जाकर सभी कर्मचारियो लाभ दिलाने हेतु हमे आन्दोलन भी करना पडे तो करेगें ।
अशोक मिश्रा 
राष्ट्रीय अध्यक्ष
पैक्स कर्मचारी संघ भारत
🌹🌹🙏🏻🙏🏻🌹🌹


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Raj Thakre

Oct. 28, 2024

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निम्न वर्ग के कर्मचारियों का शोषण क्यों ?



   -निम्न वर्ग के कर्मचारियों का शोषण: कारण और समाधान
   - और आर्थिक प्रभाव, और समाधान के सुझाव।
   -
   - निम्न वर्ग के कर्मचारियों का शोषण क्यों होता है?
   - निम्न वर्ग के कर्मचारियों के शोषण के प्रमुख कारण"
   - सामाजिक और आर्थिक प्रभाव"
   - निम्न वर्ग के कर्मचारियों के शोषण को कैसे रोकें?"
   - शिक्षा और जागरूकता की कमी"
   - आर्थिक निर्भरता"
   - श्रम कानूनों का पालन"

निम्न वर्ग के कर्मचारियों का शोषण कई सामाजिक, आर्थिक और संरचनात्मक कारणों से होता है। इसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:

1. अशिक्षा और जागरूकता की कमी : निम्न वर्ग के कर्मचारी अक्सर अशिक्षित होते हैं या उन्हें अपने अधिकारों की पूरी जानकारी नहीं होती। इसका फायदा उठाकर नियोक्ता उन्हें न्यूनतम वेतन, खराब कामकाजी परिस्थितियों, और लंबे समय तक काम करने के लिए मजबूर करते हैं।

2. आर्थिक निर्भरता: गरीब और निम्न वर्ग के लोग आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं, इसलिए उन्हें रोजगार पाने के लिए अपने अधिकारों से समझौता करना पड़ता है। उनकी कमजोर आर्थिक स्थिति उन्हें नियोक्ताओं द्वारा शोषित होने के लिए मजबूर कर देती है, क्योंकि उनके पास रोजगार के दूसरे विकल्प बहुत कम होते हैं।

3. न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा का अभाव: कई बार निम्न वर्ग के कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन से भी कम भुगतान किया जाता है और उनके पास स्वास्थ्य बीमा, पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा सुविधाएँ नहीं होतीं। इस वजह से वे अधिक काम करने और शोषण झेलने के लिए मजबूर होते हैं।

4. श्रम कानूनों का पालन न होना: कई देशों और स्थानों पर श्रम कानून होते हुए भी उनका प्रभावी रूप से पालन नहीं किया जाता। नियोक्ता अक्सर कानूनों को अनदेखा करते हैं और इसका नुकसान निम्न वर्ग के कर्मचारियों को होता है।

5. असंगठित क्षेत्र में काम: निम्न वर्ग के कर्मचारी अक्सर असंगठित क्षेत्रों में काम करते हैं, जहाँ उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए कोई यूनियन या संगठन नहीं होता। इससे उनकी स्थिति और भी कमजोर हो जाती है।

6. सामाजिक असमानता: जाति, लिंग, और सामाजिक स्थिति जैसे कारक भी शोषण में योगदान देते हैं। कई बार निम्न वर्ग के कर्मचारियों को इन आधारों पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

इन सभी कारणों से निम्न वर्ग के कर्मचारियों का शोषण होता है और वे सामाजिक, आर्थिक और मानसिक रूप से प्रभावित होते हैं।


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Raj Thakre

Oct. 27, 2024

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दीपावली: रोशनी का पर्व, महत्व और उत्सव की परंपरा जानिये क्यो ?


दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है, भारत का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है। यह रोशनी का पर्व है, जो अच्छाई की बुराई पर विजय, समृद्धि, और खुशहाली का प्रतीक है।   इस लेख में हम दीपावली के धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक महत्व के साथ इसके पर्यावरणीय प्रभाव और आधुनिक तरीकों पर चर्चा करेंगे।

 दीपावली का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
दीपावली हिंदू धर्म के साथ-साथ जैन, सिख, और बौद्ध धर्म में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है:

dipawali

1. हिंदू धर्म: भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है।
2. जैन धर्म: भगवान महावीर के मोक्ष प्राप्ति के दिन के रूप में मनाया जाता है।
3. सिख धर्म: गुरु हरगोबिंद सिंह जी की रिहाई का दिन है।
4. बौद्ध धर्म: सम्राट अशोक के बौद्ध धर्म अपनाने की खुशी में मनाया जाता है।

दीपावली के पाँच दिन
दीपावली पाँच दिनों का त्योहार है, जिसमें हर दिन का अपना महत्व है:

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1. धनतेरस: धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
2. नरक चतुर्दशी: इस दिन बुराई का नाश होता है।
3. दीपावली: लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती है।
4. गोवर्धन पूजा: भगवान कृष्ण के गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा।
5. भाई दूज: भाई-बहन के प्रेम का पर्व।

पर्यावरणीय प्रभाव और ग्रीन दिवाली
फटाकों के इस्तेमाल से वायु और ध्वनि प्रदूषण होता है, जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ग्रीन दिवाली का उद्देश्य है कि हम बिना प्रदूषण के दीपावली मनाएं, जैसे कि बिना फटाकों के, प्राकृतिक सजावट, और पर्यावरण के अनुकूल तरीकों का इस्तेमाल।

दीपावली का आर्थिक महत्व
दीपावली के समय व्यापार में वृद्धि होती है। धनतेरस के दिन लोग बर्तन और आभूषण खरीदते हैं, जो व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ाता है। इस समय खरीदारी के कारण बाजारों में भारी रौनक होती है।

निष्कर्ष
दीपावली का त्योहार केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह त्योहार हमें अंधकार से प्रकाश की ओर, बुराई से अच्छाई की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है। साथ ही, ग्रीन दिवाली का संदेश पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने में मदद करता है।


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Raj Thakre

Oct. 27, 2024

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सिंग्रामपुर , जिला दमोह मे आयोजित कार्यक्रम मे लाडली बहना योजना के हितग्राहियो को राशि‍ का अंतरण


 

संस्कृति और विरासत को सम्मान
तरक्की बनी मध्यप्रदेश की पहचान

अमर बलिदानी वीरांगना रानी दुर्गावती जी के 500वें जन्म जयंती वर्ष पर उनके सम्मान में सिंग्रामपुर में मंत्रिपरिषद की बैठक का आयोजन। साथ ही - मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा 

📌 लाड़ली बहना योजना अंतर्गत 1.29 करोड़ बहनों को ₹1574 करोड़ 

📌सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना अंतर्गत 55 लाख से अधिक हितग्राहियों को ₹332.71 करोड़ 

📌₹450 में गैस रीफिल योजना के तहत 24 लाख से अधिक बहनों ₹28 करोड़ की राशि का सिंगल क्लिक के माध्यम से अंतरण किया जाएगा।

🗓️ 5 अक्टूबर 2024
📍सिंग्रामपुर, दमोह
🕚 सुबह 11 बजे

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Raj Thakre

Oct. 26, 2024

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हिन्दू संस्कृति और इसके उद्देश्य जानिए क्यों?


बजरंग दल: हिन्दू संस्कृति और इसके उद्देश्य

बजरंग दल एक प्रमुख हिन्दू राष्ट्रवादी संगठन है, जो विश्व हिन्दू परिषद (VHP) का युवा विंग है। इसकी स्थापना 1984 में उत्तर प्रदेश में हुई थी। बजरंग दल का नाम भगवान हनुमान से लिया गया है, जो हिन्दू धर्म में शक्ति, भक्ति और साहस का प्रतीक माने जाते हैं। यह संगठन हिन्दू धर्म, संस्कृति, और परंपराओं की रक्षा करने के उद्देश्य से काम करता है।

बजरंग दल का उद्देश्य और कार्य

बजरंग दल के कार्य मुख्यतः हिन्दू धर्म और संस्कृति की सुरक्षा के इर्द-गिर्द केंद्रित हैं। इसके प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं:

जय हनुमानजी
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1. गौ रक्षा: यह संगठन गौ रक्षा अभियान चलाता है, जो गोहत्या और गोतस्करी के खिलाफ कार्य करता है।
2. धार्मिक स्थलों की सुरक्षा: मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और उनकी देखरेख करना।
3. हिन्दू युवाओं में जागरूकता: हिन्दू धर्म के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन।
4. राष्ट्रीय एकता और अखंडता: भारत की सांस्कृतिक एकता को बनाए रखना और राष्ट्रवाद को बढ़ावा देना। बजरंग दल और विवाद

बजरंग दल को कई बार विवादों का सामना भी करना पड़ा है। कई लोग इसे हिन्दू धर्म की रक्षा का समर्थक मानते हैं, जबकि अन्य इसे धार्मिक असहिष्णुता और हिंसा को बढ़ावा देने वाला संगठन मानते हैं। इसके कुछ कार्यों की आलोचना भी होती है, लेकिन इसके समर्थकों का मानना है कि यह संगठन हिन्दू संस्कृति की रक्षा में अहम भूमिका निभाता है।

निष्कर्ष

बजरंग दल भारत में हिन्दू संस्कृति, परंपराओं और धर्म की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध संगठन है। इसके समर्थक इसे हिन्दू धर्म के प्रति समर्पण और सुरक्षा का प्रतीक मानते हैं।


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Raj Thakre

Oct. 26, 2024

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पंजीयक सहकारिता समेत वरिष्ठ अधिकारियो के आदेशों की उड़ रही धज्जियां


समिति प्रबंधको के हौंसले के सामने नत मस्तक जिला प्रशासन

मध्यप्रदेश के आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक भोपाल ने एक अहम आदेश पारित करते हुए विक्रेताओं के वेतन में तीन हजार रुपए की वृद्धि करते हुए तत्काल लागू करने के निर्देश सहायक आयुक्त सहकारिता, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला सहकारी बैंक, और कलेक्टर को दिये गये है, लेकिन यह निर्देश पिछले तीन महीनों से रद्दी की टोकरी में डाल दिये गये है। विदित होवे कि उक्त आदेश माननीय आयुक्त सहकारिता ने मध्यप्रदेश शासन सहकारिता विभाग के पत्र क्रमांक एफ/2/11/4/0031-2023-एस ई सी-2-15 दिनांक 06-10-23 के परिपालन में दिये गये है। ज्ञातव्य हो कि मध्यप्रदेश शासन व्दारा एक वर्ष पूर्व से विक्रेताओं को उनके हक को दिलाने का आदेश जारी कर चुकी हैं, जबकि विक्रेताओं को साल भर बाद भी मिलने में संशय बना हुआ है।

ध्यान देने योग्य है कि पंजीयक सहकारिता ने अपने पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि राज्य शासन द्वारा प्राथमिक साख सहकारी समितियों को प्रबंधकीय अनुदान योजना 5006 में प्रतिवर्ष आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों एवं प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों ( पैक्स) को मिलने वाली अनुदान राशि को 48 हजार से बढ़ाकर तीन लाख रुपए कर दिया गया है वहीं पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सेवा रत विक्रेताओं को वर्तमान में मिलने वाले पारिश्रमिक में प्रतिमाह तीन हजार रुपए की वृद्धि करने का निर्णय लिया गया है, आपने साफ तौर पर लिखा है कि यह वेतन वृद्धि 01 अक्टूबर 2023 से लागू होंगी । आश्चर्यजनक कहा जाये कि पंजीयक के इस महत्वपूर्ण आदेश का पालन सहायक आयुक्त सहकारिता, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला सहकारी बैंक के द्वारा संबंधित समिति प्रबंधको

कों जारी किये जा चुके हैं, जिसके तारतम्य में समिति प्रबंधको ने अपने हिस्से का 6500-00 रूपये प्रतिमाह लेना शुरू भी कर दिया है लेकिन विक्रेताओं के हिस्से की 3000-00 रूपये देने में इन समिति प्रबंधको और समिति के प्रशासक के व्दारा अपने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशो की धज्जियां उड़ाई जा रही है। जिस आदेश का पालन एक वर्ष पूर्व लागू हो जाना चाहिए उसके लाभ के लिए आज भी विक्रेताओं को अपने आकाओं की कृपा दृष्टि का इंतजार है।

इस पूरे मामले की तहकीकात करने में पता चलता है कि समिति प्रबंधको के हौंसले के सामने जिला प्रशासन नत मस्तक हैं, तभी तो अपना वेतन बढा लेने वाले प्रबंधक विक्रेताओं का वेतन क्यों न बढ़ाते । इस पूरे मामले में समिति के प्रशासक बने कतिपय अधिकारियो के कार्यशैली पर तीखे सवाल खड़े हो रहे हैं ?


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Raj Thakre

Oct. 25, 2024

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Sahara Refund Claim Form 2024 Online Kaise Kare: सहारा इंडिया में फंसा हुआ पैसा होगा रिफंड बस ऐसे करना होगा क्लेम, जाने क्या है पूरी ऑनलाइन प्रोसेस?


Sahara Refund Claim Form 2024 Online Kaise Kare: वे सभी  निवेशक,  जिनका पैसा सहारा इंडिया  मे  फंसा हुआ है जिसे आप वापस पाना चाहते है  उन सभी  निवेशको  के लिए  अच्छी खबर  है कि, अब आप  घर बैठे – बैठे रिफंड हेतु क्लेम  करके अपना पैसा  वापस प्राप्त कर सकते है और इसीलिए हम, आपको इस लेख में विस्तार से बतायेगे कि, Sahara Refund Claim Form 2023 Online Kaise Kare?

 
यहां पर हम, आपको बता देना चाहते है कि, Sahara Refund Claim Form 2023 Online Kaise Kare  के लिए आपको अपने साथ   निवेश  से संबंधित सभी दस्तावेजो को साथ मे रखना होगा ताकि आप आसानी से  रिफंड हेतु क्लम  कर सकें और  अपना पैसा वापस  प्राप्त कर सकें तथा

लेख के अन्त में हम, आपको  क्विक लिंक्स  प्रदान करेगे ताकि आप आसानी से इसी प्रकार के आर्टिकल्स को प्राप्त करके इनका लाभ प्राप्त कर सकें।

Read Also – Seekho Kamao Yojana List 2023: सीखों और कमाओं योजना की नई लिस्ट हुई जारी, जाने कैसे करें

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सहारा इंडिया में फंसा हुआ पैसा होगा रिफंड बस ऐसे करना होगा क्लेम, जाने क्या है पूरी ऑनलाइन प्रोसेस – Sahara Refund Claim Form 2023 Online Kaise Kare?
हम, अपने इस लेख में हम, आप सभी  निवेशको  का  हार्दिक स्वागत  करते हुए आपको बताना चाहते है कि,  केंद्र सरकार  ने, सहारा इंडिया रिफंड पोर्टल  को लांच  कर दिया है जिसकी मदद से आप अपना  पैसा वापस  प्राप्त कर सकते है और इसीलिए हम, आपको इस लेख मे विस्तार से  बतायेगे कि, Sahara Refund Claim Form 2023 Online Kaise Kare?

आप सभी  सहारा इंडिया  के  निवेशको  को समर्पित इस लेख मे हम, आपको बता देना चाहते है कि, Sahara Refund Claim Form 2023 Online Kaise Kare अर्थात् Sahara Refund Apply Online Form Kaise Bhare  के लिए आपको  ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया  को अपनाना होगा जिसमे आपको कोई समस्या ना हो इसके लिए हम, आपको  पूरी प्रक्रिया  के बारे में बतायेगे तथा

लेख के अन्त में हम, आपको  क्विक लिंक्स  प्रदान करेगे ताकि आप आसानी से इसी प्रकार के आर्टिकल्स को प्राप्त करके इनका लाभ प्राप्त कर सकें।

 
Read Also –

Sahakar Pragya Yojana: अब किसानों के उनके अपने सहकारी समिति में मिलेगा फ्री प्रशिक्षण, सर्टिफिकेट और रोजगार के सुनहरे अवसर
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Required Documents For Sahara Refund Claim Form 2023 Online Kaise Kare?
आप सभी निवेशको को क्लेम करने के लिए कुछ दस्तावेजो को स्कैन करके अपलोड करना होगा जो कि, इस प्रकार से हैं –

Deposit certificate/ Passbook
Claim Request Form
PAN Card (if claim amount is Rs. 50,000/- and above) आदि।
उपरोक्त सभी दस्तावेजो को आपको स्कैन करके अपलोड  करना होगा ताकि आप आसानी से  रिफंड  हेतु  अप्लाई  कर सके ।

 Step By Step Online Process of Sahara Refund Claim Form 2023 Online Kaise Kare?
अपना – अपना पैसा, रिफंड  पाने के आप सभी  निवेशक  इन स्टेप्स को  फॉलो करके  क्लेम  कर सकते है जो कि, इस प्रकार से हैं –

1st Step – New Registration
Sahara Refund Claim Form 2023 Online Kaise Kare के लिए सबसे पहले  आप सभी   निवेशको  को इसकी आधिकारीक वेबसाइट  के  होम – पेज  पर आना होगा जो कि, इस प्रकार का होगा –


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Raj Thakre

Oct. 25, 2024

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धान खरीदी पर होगा बडा फैसला जानिये क्यो? किसानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी


2024 में धान पंजीयन: किसानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

2024 में धान पंजीयन की प्रक्रिया विभिन्न राज्यों में तेज़ी से चल रही है, और बड़ी संख्या में किसानों ने पंजीयन करवाया है। अगर आप भी धान की खेती करते हैं और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अपनी फसल बेचने की योजना बना रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।

छत्तीसगढ़ में धान पंजीयन
छत्तीसगढ़ सरकार ने 2024-25 के लिए 160 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है, जो पिछले साल से अधिक है। राज्य भर में 5,000 से अधिक खरीद केंद्र स्थापित किए गए हैं, और पंजीयन की प्रक्रिया 15 नवंबर से शुरू होगी। इस पंजीकरण के लिए सहकारी समितियों और ग्राम पंचायतों में विशेष सुविधा केंद्र बनाए गए हैं।

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मध्य प्रदेश में धान पंजीयन
मध्य प्रदेश में 2024-25 खरीफ विपणन सीजन के दौरान 7.66 लाख किसानों ने धान, ज्वार, और बाजरा बेचने के लिए पंजीयन कराया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। इस साल कुल 13.79 लाख हेक्टेयर जमीन पर धान की खेती की गई है। किसानों को नि:शुल्क पंजीयन के लिए ग्राम पंचायतों और सरकारी पोर्टल्स का उपयोग करने की सलाह दी गई है, जबकि सशुल्क पंजीयन भी उपलब्ध है, जहां अधिकतम 50 रुपये का शुल्क लिया जा रहा है।

dhan kharidi price
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पंजीयन प्रक्रिया कैसे करें?
- ऑनलाइन पंजीयन: एम.पी. किसान ऐप या अन्य सरकारी पोर्टल्स के माध्यम से किसान नि:शुल्क पंजीयन कर सकते हैं।
- ऑफलाइन पंजीयन: ग्राम पंचायतों, जनपद पंचायत कार्यालयों, सहकारी समितियों, और तहसील कार्यालयों पर पंजीयन की सुविधा उपलब्ध है।

 MSP और धान खरीद
इस साल किसानों को धान की सामान्य किस्म के लिए 2,300 रुपये प्रति क्विंटल और ग्रेड-ए धान के लिए 2,320 रुपये प्रति क्विंटल MSP दिया जाएगा। 


- 2024 धान पंजीयन
- छत्तीसगढ़ धान खरीद
- मध्य प्रदेश धान MSP
- किसान पंजीयन 2024
- न्यूनतम समर्थन मूल्य धान 2024

अगर आप धान की फसल बेचने की योजना बना रहे हैं, तो समय पर पंजीयन कराएं और MSP का लाभ उठाएं।


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Raj Thakre

Oct. 24, 2024

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मध्यप्रदेश में किसानों को 3100 रुपये का मूल्य क्यों नहीं मिला? जानें प्रमुख कारण


मध्यप्रदेश में किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य, जैसे कि 3100 रुपये प्रति क्विंटल, न मिलने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हो सकते हैं। यहां हम उन प्रमुख कारणों पर चर्चा करेंगे, जिनकी वजह से किसानों को उनकी फसलों का सही दाम नहीं मिल पाता:

1. सरकारी नीतियों में बदलाव: कई बार सरकार की कृषि नीतियों में बदलाव हो जाता है, जिससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) या बोनस योजनाएं प्रभावित होती हैं। यदि राज्य सरकार बोनस की घोषणा करती है, लेकिन वित्तीय संकट के कारण इसे लागू नहीं कर पाती, तो किसानों को 3100 रुपये प्रति क्विंटल का मूल्य नहीं मिल पाता।

2. बिचौलियों का हस्तक्षेप: कृषि मंडियों में बिचौलियों का प्रभाव किसानों को उचित मूल्य मिलने में बाधा डालता है। बिचौलिये किसानों से कम कीमत पर फसल खरीदकर उसे ऊंचे दाम पर बेचते हैं, जिससे किसानों को नुकसान होता है।

3. फसल की गुणवत्ता: फसल की गुणवत्ता मानकों के अनुसार नहीं होने पर किसानों को बाजार में कम दाम मिल सकता है। सरकारी खरीद केंद्रों पर भी गुणवत्ता के आधार पर ही फसल खरीदी जाती है, जिससे किसानों को सही मूल्य पाने में दिक्कत हो सकती है।

4. सरकारी खरीद की सीमाएं: सरकारी खरीद केंद्रों की सीमित क्षमता भी एक बड़ा कारण है। अगर सरकारी केंद्रों पर खरीद की सीमा तय होती है, तो किसानों को अपनी फसल खुले बाजार में कम कीमत पर बेचनी पड़ती है।

5. भुगतान में देरी: कई बार किसानों को फसल बेचने के बाद समय पर भुगतान नहीं मिलता, जिससे उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, कभी-कभी किसानों को कम भुगतान किया जाता है, जिससे उन्हें उनका उचित मूल्य नहीं मिल पाता।

समाधान और सुझाव: किसानों को उचित मूल्य दिलाने के लिए नीतिगत सुधार, सरकारी खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता, और किसानों को सीधे बाजार तक पहुंच सुनिश्चित करना आवश्यक है। साथ ही, मंडी व्यवस्था में बिचौलियों के प्रभाव को कम करना भी जरूरी है ताकि किसान अपनी फसल का सही मूल्य प्राप्त कर सकें।

यह जानकारी आपको समझने में मदद करेगी कि मध्यप्रदेश के किसान 3100 रुपये का मूल्य क्यों नहीं प्राप्त कर सके और इसके समाधान क्या हो सकते हैं।


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Raj Thakre

Oct. 23, 2024

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अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय: हिन्दी में उच्च शिक्षा का केंद्र


परिचय:
अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय, भोपाल, भारत में उच्च शिक्षा को हिन्दी माध्यम में प्रदान करने वाला एक अग्रणी संस्थान है। यह विश्वविद्यालय 6 जून 2011 को स्थापित किया गया और इसका मुख्य उद्देश्य हिन्दी में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना है। हिन्दी के प्रबल समर्थक और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर इस विश्वविद्यालय का नाम रखा गया है। यह विश्वविद्यालय हिन्दी भाषा, साहित्य, विज्ञान, वाणिज्य, प्रबंधन, और अन्य शैक्षिक क्षेत्रों में शिक्षा प्रदान करता है।

अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के उद्देश्य:
1. हिन्दी माध्यम में उच्च शिक्षा प्रदान करना।
2. हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देना।
3. अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करना, खासकर हिन्दी भाषा और विज्ञान के क्षेत्रों में।
4. वैश्विक स्तर पर हिन्दी भाषा का सशक्तिकरण और उसका प्रचार करना।

अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के शैक्षिक पाठ्यक्रम

संकाय और विभाग:
1. कला और मानविकी (Arts and Humanities):
   - हिन्दी साहित्य, इतिहास, समाजशास्त्र, राजनीतिक विज्ञान जैसे विषयों में शिक्षा।
   
2. विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Science and Technology):
   - भौतिकी, रसायनशास्त्र, जीवविज्ञान जैसे विज्ञान विषयों में हिन्दी माध्यम में पढ़ाई।

3. वाणिज्य और प्रबंधन (Commerce and Management):
   - व्यापार, लेखा और प्रबंधन से जुड़े पाठ्यक्रम हिन्दी भाषा में।

4. शिक्षा और अध्यापन (Education and Teaching):
   - शिक्षक प्रशिक्षण और शिक्षा क्षेत्र में स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री कोर्स।

अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय की विशेषताएँ

1. हिन्दी माध्यम में अध्ययन सामग्री: विश्वविद्यालय हिन्दी भाषा में शैक्षिक सामग्री प्रदान करता है, जिससे छात्रों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाई करने में आसानी होती है।
   
2. भारतीय संस्कृति और विरासत का संरक्षण: इस विश्वविद्यालय का पाठ्यक्रम भारतीय संस्कृति और सामाजिक मूल्यों को बढ़ावा देता है।

3. अनुसंधान और नवाचार: हिन्दी भाषा और विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन।

हिन्दी में उच्च शिक्षा के लाभ

1. सुलभता और समझ: हिन्दी माध्यम में शिक्षा प्राप्त करने से छात्रों को अपने विषय को गहराई से समझने में मदद मिलती है, खासकर वे छात्र जो अंग्रेजी में अध्ययन सामग्री को आसानी से समझ नहीं पाते।

2. रोजगार के अवसर: हिन्दी में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए सरकारी और निजी क्षेत्रों में रोजगार के कई अवसर उपलब्ध हैं। हिन्दी पत्रकारिता, शिक्षा, प्रशासनिक सेवाओं और अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में करियर की संभावनाएँ बढ़ती हैं।

3. मातृभाषा में शिक्षा का महत्व: हिन्दी माध्यम से शिक्षा प्राप्त करना न केवल भाषा को सशक्त बनाता है, बल्कि छात्रों को अपने सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश से जुड़े रहने का मौका भी देता है।

अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय का महत्व

1. हिन्दी भाषा के प्रचार में योगदान: विश्वविद्यालय हिन्दी भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाकर भारतीय भाषाओं को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
   
2. हिन्दी में व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा: इस विश्वविद्यालय ने यह सुनिश्चित किया है कि तकनीकी और व्यावसायिक पाठ्यक्रम भी हिन्दी में उपलब्ध हों, जिससे छात्रों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता मिल सके।

3. हिन्दी भाषा का वैश्विकरण: विश्वविद्यालय हिन्दी को वैश्विक भाषा के रूप में स्थापित करने के प्रयास कर रहा है। यह हिन्दी भाषा को विज्ञान, प्रबंधन और तकनीकी क्षेत्रों में प्रभावी बनाने के लिए कार्य कर रहा है।- अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय भोपाल
- हिन्दी में उच्च शिक्षा
- अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी कोर्स
- हिन्दी माध्यम में उच्च शिक्षा के फायदे
- मध्य प्रदेश हिन्दी विश्वविद्यालय
- अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय प्रवेश
- हिन्दी में विज्ञान शिक्षा
- हिन्दी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम

निष्कर्ष:
अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय ने हिन्दी भाषा में उच्च शिक्षा प्रदान करने के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया है। यह विश्वविद्यालय उन छात्रों के लिए आदर्श स्थान है जो अपनी मातृभाषा में उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं और हिन्दी को वैश्विक स्तर पर सशक्त बनाना चाहते हैं। इसका शैक्षिक और सांस्कृतिक योगदान भारत के शिक्षा परिदृश्य में हिन्दी के महत्व को पुनः स्थापित करता है।


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Raj Thakre

Oct. 23, 2024

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प्राथमिक चिकित्सक (Primary Care Physician) जाने पुरी जानकारी और शेयर करे


परिचय:
प्राथमिक चिकित्सक, जिसे सामान्यत: सामान्य चिकित्सक या फैमिली डॉक्टर भी कहा जाता है, चिकित्सा प्रणाली का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। ये डॉक्टर पहले संपर्क के रूप में काम करते हैं जब किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या का सामना करना पड़ता है। प्राथमिक चिकित्सक का उद्देश्य बीमारियों की प्रारंभिक पहचान, रोकथाम और प्रबंधन करना होता है, ताकि रोगी को शुरुआती चरण में ही उचित उपचार मिल सके।

प्राथमिक चिकित्सक की भूमिका:
1. रोग की रोकथाम (Prevention of Diseases):
   प्राथमिक चिकित्सक नियमित जांच और परामर्श के माध्यम से स्वास्थ्य की निगरानी करते हैं और रोकथाम के उपाय बताते हैं। वे टीकाकरण, स्वास्थ्य परीक्षण और जीवनशैली से जुड़ी सलाह देते हैं, ताकि मरीज बीमारियों से बच सके।

2. रोग की पहचान (Diagnosis):
   जब कोई व्यक्ति किसी स्वास्थ्य समस्या का सामना करता है, तो प्राथमिक चिकित्सक सबसे पहले उस समस्या की पहचान करते हैं। वे लक्षणों का विश्लेषण करते हैं और उचित जांच कराने की सलाह देते हैं।

3. सामान्य उपचार (General Treatment):
   प्राथमिक चिकित्सक सामान्य बीमारियों जैसे बुखार, खांसी, जुकाम, मधुमेह, उच्च रक्तचाप आदि का इलाज करते हैं। वे दवाइयों का प्रिस्क्रिप्शन देते हैं और मरीज के स्वास्थ्य को मॉनिटर करते हैं।

4. विशेषज्ञों से रेफरल (Referral to Specialists):
   अगर किसी रोगी की स्थिति अधिक गंभीर होती है या विशेष उपचार की आवश्यकता होती है, तो प्राथमिक चिकित्सक मरीज को संबंधित विशेषज्ञ के पास भेजते हैं। 

5. दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रबंधन (Long-Term Health Management):
   प्राथमिक चिकित्सक रोगियों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य की देखभाल करते हैं, विशेष रूप से क्रोनिक बीमारियों जैसे मधुमेह, हृदय रोग, और अस्थमा का प्रबंधन। वे नियमित फॉलो-अप्स करते हैं ताकि रोगी का स्वास्थ्य नियंत्रण में रहे।

प्राथमिक चिकित्सक के महत्व:
- सुलभता और विश्वास: प्राथमिक चिकित्सक रोगियों के लिए आसानी से उपलब्ध होते हैं और उनके साथ एक मजबूत व्यक्तिगत संबंध विकसित करते हैं। यह संबंध डॉक्टर को मरीज की पूरी चिकित्सा पृष्ठभूमि समझने में मदद करता है, जिससे वे बेहतर और व्यक्तिगत उपचार प्रदान कर सकते हैं।
  
- स्वास्थ्य प्रणाली की धुरी: वे स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं, क्योंकि वे अन्य विशेषज्ञों के साथ संपर्क में रहते हैं और मरीज की पूरी देखभाल का समन्वय करते हैं।

- रोग की शीघ्र पहचान: वे बीमारियों को शुरुआती चरण में पहचानकर गंभीरता को कम कर सकते हैं, जिससे इलाज की लागत भी घटती है और रोगी को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से बचाया जा सकता है।

निष्कर्ष:
प्राथमिक चिकित्सक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की रीढ़ होते हैं। वे व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य की देखभाल करते हैं, न केवल बीमारी के दौरान बल्कि स्वस्थ रहने के लिए भी। उनके पास चिकित्सकीय ज्ञान के साथ-साथ सामाजिक कौशल भी होता है, जिससे वे मरीजों को विश्वास के साथ स्वास्थ्य सलाह और उपचार प्रदान कर पाते हैं।


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Raj Thakre

Oct. 22, 2024

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दिवाली पर नहीं आएगा लाडली बहन योजना का पैसा, चुनाव आयोग ने फंडिंग रोकी, असली कारण क्या है? आगे देखीये


Maharashtra Ladli Behna Yojana: महाराष्ट्र चुनाव के बीच मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना के तहत पात्र महिलाओं के लिए बहुत बड़ी खबर आई है। इस योजना के तहत अब तक 2.4 करोड़ से ज्यादा पात्र महिलाओं को पांच महीने की किस्त मिल चुकी है। हालांकि चुनाव अवधि के दौरान महिलाओं को आगे की किश्तें नहीं मिल पाएंगी

·       मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना में अब तक 2.4 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को 5 महीने की किस्त मिली

·       चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता लागू करने का आदेश दिया है

·       लाडली बहन योजना के लिए फंडिंग रोक दी गई, जिससे आगे की किश्तें महिलाओं को नहीं मिल पाएंगी

चुनाव आयोग ने दिया आदेश
दरअसल केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। इसके मुताबिक राज्य में 20 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होगा। इसलिए राज्य में आचार संहिता लागू कर दी गई है। चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को आचार संहिता अवधि के दौरान मतदाताओं को सीधे प्रभावित करने वाली वित्तीय योजनाओं को बंद करने का निर्देश दिया है।

लाडली बहन योजना का पैसा कब आएगा?
चुनाव आयोग के आदेश के बाद महिला एवं बाल कल्याण विभाग की ओर से इस योजना के लिए आवश्यक धनराशि रोक दी गई है। इससे पात्र महिलाओं को चुनाव तक लड़की बहन योजना का पैसा नहीं मिल पाएगा। इस बीच राज्य सरकार ने इस योजना के तहत अक्टूबर और नवंबर महीने का भुगतान एक साथ कर दिया था। इसलिए अब दिसंबर किस्त का इंतजार करना होगा।

योजना पर रोक की क्या है असली वजह?
मतदाताओं को सीधे तौर पर आर्थिक लाभ देकर प्रभावित करने वाली योजनाएं तत्काल बंद की जाएं। इसके निर्देश मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने सभी प्रशासनिक विभागों को जारी किये हैं। साथ ही वित्तीय लाभ देने वाली योजनाओं की भी समीक्षा की गई। मुख्य निर्वाचन अधिकारी एस चोक्कालिंगम ने सभी विभागों से इस बारे में पूछा। इस दौरान यह पता चला है कि महिला एवं बाल कल्याण विभाग लाडली बहन योजना के लिए बड़ी मात्रा में वित्तीय लाभ प्रदान कर रहा है। इसलिए विभाग से इस योजना की जानकारी मांगी गई है। आयोग को बताया गया कि विभाग ने चार दिन पहले इस योजना की राशि का वितरण रोक दिया है। परिणामस्वरूप चुनाव आचार संहिता के कारण योजना को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है।

 


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Raj Thakre

Oct. 22, 2024

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किसान पंजीकरण अनिवार्य क्यों है? | जानिए इसके लाभ


किसान पंजीकरण अनिवार्य क्यों है? 

किसान पंजीकरण (Farmer Registration) किसानों के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और सब्सिडी का लाभ प्राप्त करने के लिए अनिवार्य है। पंजीकरण के माध्यम से सरकार किसानों तक योजनाओं का सीधा लाभ पहुंचाने और कृषि में पारदर्शिता लाने का प्रयास कर रही है। यहां यह जानना जरूरी है कि किसान पंजीकरण क्यों अनिवार्य है और इसके क्या फायदे हैं:

1. सीधे लाभ हस्तांतरण (DBT)
किसान पंजीकरण के माध्यम से किसानों को सरकारी योजनाओं की वित्तीय सहायता सीधे उनके बैंक खाते में प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में पंजीकृत किसानों को ₹6000 प्रति वर्ष की आर्थिक सहायता दी जाती है।

 2. कृषि योजनाओं में पारदर्शिता
किसान पंजीकरण से सरकार को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि केवल पात्र किसानों को ही योजनाओं का लाभ मिले। इससे कृषि योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता आती है और भ्रष्टाचार की संभावनाएं कम होती हैं।

3. डेटा संग्रह और नीतियां बनाने में सहायक
पंजीकरण के जरिए सरकार किसानों की सही जानकारी, जैसे उनकी भूमि की स्थिति, फसल, और संसाधनों का डेटा जुटाती है। इस डेटा का उपयोग कृषि नीतियां बनाने और किसानों के विकास के लिए किया जाता है।

 4. कर्ज़ माफी और बीमा योजनाओं का लाभ
कई बार किसानों के लिए कर्ज़ माफी या फसल बीमा जैसी योजनाएं चलाई जाती हैं। पंजीकृत किसानों को इनका सीधा लाभ मिलता है, जबकि अपंजीकृत किसान इस लाभ से वंचित रह सकते हैं।

5. किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) का लाभ
पंजीकृत किसान आसानी से किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उन्हें कृषि कर्ज़ मिलना आसान होता है। KCC के बिना कृषि कार्यों के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।

 6. राहत पैकेज और आपदा सहायता
प्राकृतिक आपदाओं, जैसे बाढ़ या सूखा के दौरान, सरकार पंजीकृत किसानों को राहत पैकेज और अन्य सहायता प्रदान करती है। पंजीकरण के बिना इस तरह की सहायता प्राप्त करना कठिन हो सकता है।


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Raj Thakre

Oct. 22, 2024

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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहद मिलेगी सौगात जाने कैसे


प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-Kisan): किसानों की आर्थिक सहायता

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-Kisan), भारतीय किसानों के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल है। इस योजना के तहत किसानों को प्रति वर्ष ₹6000 की आर्थिक सहायता दी जाती है, जिसे तीन किस्तों में सीधे उनके बैंक खातों में जमा किया जाता है। यह योजना छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के उद्देश्य से चलाई जा रही है।

PM-Kisan योजना का उद्देश्य
PM-Kisan योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी खेती-बाड़ी में मदद करना और कृषि संबंधित खर्चों को कम करना है। इस योजना के माध्यम से किसानों को बीज, खाद, कृषि उपकरण, और अन्य आवश्यक सामग्रियों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

 PM-Kisan योजना के लाभ
1. आर्थिक सहायता: प्रति वर्ष ₹6000 तीन किस्तों में मिलते हैं।
2. सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर: आर्थिक सहायता सीधे किसानों के बैंक खातों में जाती है।
3. कर्ज़ से राहत: छोटे किसानों को कर्ज लेने की जरूरत कम होती है।
4. सभी किसानों के लिए उपलब्ध: छोटे एवं सीमांत किसानों के साथ-साथ बड़े किसान भी इसका लाभ उठा सकते हैं।

PM-Kisan योजना के लिए पात्रता
- भारतीय नागरिक होना आवश्यक।
- किसान के पास खेती योग्य भूमि होनी चाहिए।
- सरकारी कर्मचारियों और करदाताओं को योजना का लाभ नहीं मिलता।
- बैंक खाता और आधार कार्ड लिंक होना जरूरी है।

योजना की प्रमुख चुनौतियाँ
- आधार और बैंक खाते का लिंक न होना।
- ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता की कमी।
- योजना के क्रियान्वयन में कहीं-कहीं भ्रष्टाचार की शिकायतें।

PM-Kisan योजना का महत्व
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना ने देश के लाखों किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान की है। इस योजना के माध्यम से किसान आत्मनिर्भर बन रहे हैं और कृषि में नवाचार को बढ़ावा मिल रहा है।


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Raj Thakre

Oct. 20, 2024

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करवाचौथ एक प्रमुख हिंदू पर्व


करवाचौथ एक प्रमुख हिंदू पर्व है, जिसे भारतीय महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए मनाती हैं। इस व्रत के कई फायदे होते हैं, जो न सिर्फ सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हैं। आइए जानते हैं करवाचौथ व्रत के प्रमुख लाभ:

1. सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व
करवाचौथ भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। यह पर्व महिलाओं को अपनी परंपराओं से जोड़े रखने में मदद करता है। सामूहिक रूप से पूजा करने से महिलाओं के बीच सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं, जिससे परिवार और समाज में एकता बढ़ती है।

2. रिश्तों में मजबूती
इस व्रत का मुख्य उद्देश्य पति की लंबी उम्र और उसकी सुरक्षा की कामना करना है। यह प्रेम और समर्पण का प्रतीक है, जिससे पति-पत्नी के रिश्ते में निकटता और विश्वास बढ़ता है। साथ ही, यह व्रत रिश्तों में सकारात्मकता लाने का काम करता है।

3. मानसिक स्वास्थ्य के फायदे
करवाचौथ व्रत महिलाओं को धैर्य, संकल्प और आत्म-नियंत्रण की भावना सिखाता है। व्रत के दौरान उपवास रखने से मानसिक शक्ति और अनुशासन का विकास होता है। प्रार्थना और ध्यान से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।

4. शारीरिक स्वास्थ्य के फायदे
हालांकि व्रत के दौरान पूरे दिन उपवास किया जाता है, यह शरीर के लिए लाभकारी हो सकता है। उपवास से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और शरीर में जमा विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद मिलती है। सही तरीके से उपवास करने से यह शरीर के लिए एक प्रकार का डिटॉक्स की तरह काम करता है।

5. आध्यात्मिक लाभ
करवाचौथ व्रत एक आध्यात्मिक अनुष्ठान भी है, जिसमें प्रार्थना और ध्यान के माध्यम से महिलाओं को आत्मिक शांति मिलती है। व्रत करने से उनमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और वे अपने जीवनसाथी की खुशहाली के लिए आध्यात्मिक रूप से जुड़ी महसूस करती हैं।

6. समाज और सामुदायिक जुड़ाव
करवाचौथ का व्रत महिलाओं को सामूहिक रूप से एकत्रित होकर एक-दूसरे से जुड़ने का मौका देता है। इस अवसर पर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम और पूजा के माध्यम से महिलाएं अपने समाज और समुदाय से गहरे स्तर पर जुड़ती हैं।

निष्कर्ष: करवाचौथ व्रत न केवल धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ा है, बल्कि यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। इस व्रत का उद्देश्य पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के साथ-साथ समाज में महिलाओं के सामाजिक और मानसिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देना भी है।

 


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Raj Thakre

Oct. 20, 2024

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जिला संगठन: सहकारिता, संरचना और महत्व


जिला सहकारिता संगठन एक स्थानीय सहकारी संस्था है, जो सहकारी संस्थाओं के संचालन और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह संगठन आर्थिक विकास, सामुदायिक उत्थान और सहयोग की भावना को बढ़ावा देने के लिए कार्य करता है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि जिला सहकारिता संगठन क्या है, इसकी संरचना, भूमिका और इसके महत्व के बारे में।

जिला सहकारिता संगठन क्या है?
जिला सहकारिता संगठन एक ऐसा संगठन है, जो विभिन्न सहकारी संस्थाओं को संगठित करता है और उनके समन्वय, संचालन और वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इसका मुख्य उद्देश्य सहकारी सिद्धांतों के तहत सदस्यों के हितों की सुरक्षा और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना होता है। ये संगठन मुख्य रूप से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सहकारी समितियों को लाभ पहुंचाने के लिए कार्य करते हैं।

जिला सहकारिता संगठन की भूमिका

1. सदस्यों के हितों की सुरक्षा:
   जिला सहकारिता संगठन अपने सदस्यों के आर्थिक और सामाजिक हितों की रक्षा करता है। यह विभिन्न सहकारी संस्थाओं के बीच तालमेल बैठाकर एकजुटता को बढ़ावा देता है।

2. वित्तीय सहायता:
   यह संगठन अपने सदस्य सहकारी संस्थाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करता है, जिसमें ऋण, अनुदान और अन्य वित्तीय सेवाएं शामिल हैं। इसका उद्देश्य किसानों, छोटे व्यापारियों और अन्य जरूरतमंद लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त करना है।

3. प्रशिक्षण और विकास:  
   जिला सहकारिता संगठन अपने सदस्यों को संगठन प्रबंधन, वित्तीय नियंत्रण और नई तकनीकों के बारे में प्रशिक्षण देता है। इससे सहकारी संस्थाओं की दक्षता और कार्यकुशलता में सुधार होता है।

4. सामाजिक और आर्थिक उत्थान:
   जिला सहकारिता संगठन ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में विकासशील गतिविधियों को बढ़ावा देता है। कृषि, पशुपालन, छोटे उद्योग और सेवा क्षेत्रों में आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करता है।

5. कानूनों का पालन:
   सहकारी संगठनों को संचालित करने के लिए नियम और कानून बनाए गए हैं। जिला सहकारिता संगठन सुनिश्चित करता है कि सदस्य सहकारी समितियां इन कानूनों का पालन करें और नैतिक रूप से कार्य करें।

जिला सहकारिता संगठन की संरचना

1. सामान्य सभा (General Body):
   यह सभी सदस्य सहकारी संस्थाओं का समूह होता है, जो संगठन की नीतियों और महत्वपूर्ण फैसलों पर मतदान करता है।

2. प्रबंध समिति (Management Committee):
   यह समिति संगठन की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों और नीतियों के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होती है।

जिला सहकारिता संगठन के सामने चुनौतियाँ

- वित्तीय संसाधनों की कमी:
   कई बार जिला सहकारिता संगठनों को उचित वित्तीय सहायता नहीं मिल पाती, जिससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है।

- प्रबंधन की चुनौतियाँ:
   संगठन को कुशल प्रबंधन और समय-समय पर प्रशिक्षण की जरूरत होती है, ताकि संगठन बेहतर तरीके से काम कर सके।

- प्रतिस्पर्धा का सामना: 
   निजी क्षेत्र और वैश्विक बाजार की प्रतिस्पर्धा के कारण सहकारी संगठनों को अपने अस्तित्व और विकास के लिए संघर्ष करना पड़ता है।


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Raj Thakre

Oct. 19, 2024

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किसान की गिरदावली के बिना आने वाली समस्याओं से कैसे बचें?


गिरदावली कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो किसान की भूमि, फसल और खेती से संबंधित आवश्यक जानकारी को रिकॉर्ड करता है। गिरदावली के बिना, किसानों को कई प्रकार की प्रशासनिक, कानूनी और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इन समस्याओं से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं। आइए जानते हैं कि किसान गिरदावली के बिना आने वाली समस्याओं से कैसे बच सकते हैं।

 1. गिरदावली का नियमित अद्यतन
सबसे पहला और महत्वपूर्ण उपाय है कि किसान अपनी गिरदावली को नियमित रूप से अद्यतन रखें। जब भी कोई भूमि की खरीद-बिक्री हो या फसल का प्रकार बदले, तो किसान को तुरंत अपनी गिरदावली में यह बदलाव दर्ज करवाना चाहिए। कई बार किसानों की गिरदावली पुरानी हो जाती है, जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में दिक्कत होती है। इसलिए नियमित अद्यतन आवश्यक है।

 2. डिजिटल सेवाओं का लाभ उठाना
कई राज्य सरकारों ने गिरदावली की जानकारी को ऑनलाइन उपलब्ध कराने की सुविधा दी है। किसान ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से अपनी गिरदावली की स्थिति को जांच सकते हैं और समय-समय पर आवश्यक बदलाव कर सकते हैं। डिजिटल सेवाओं का उपयोग कर किसान अपनी गिरदावली को सुरक्षित और अद्यतित रख सकते हैं।

3. राजस्व विभाग से संपर्क में रहें
गिरदावली से संबंधित किसी भी समस्या या त्रुटि की जानकारी प्राप्त होने पर किसान को तुरंत स्थानीय राजस्व विभाग से संपर्क करना चाहिए। इससे किसी भी प्रकार की भूमि या फसल से संबंधित समस्या को जल्दी सुलझाया जा सकता है। राजस्व विभाग की मदद से किसान भूमि के स्वामित्व और अधिकार संबंधी विवादों से भी बच सकते हैं।

 4. भूमि के स्वामित्व के दस्तावेज़ सुरक्षित रखें
गिरदावली के साथ-साथ भूमि के अन्य स्वामित्व से जुड़े दस्तावेज जैसे कि पट्टा, रजिस्ट्री, और खसरा को भी सुरक्षित रखें। ये दस्तावेज भविष्य में भूमि संबंधी किसी भी विवाद या समस्या का हल निकालने में सहायक हो सकते हैं। यदि गिरदावली में कोई त्रुटि होती है, तो ये दस्तावेज़ आपकी सही जानकारी साबित करने में मदद करेंगे।

5. फसल बीमा और ऋण के लिए प्री-अप्रूव्ड योजना
किसानों को फसल बीमा और कृषि ऋण योजनाओं का लाभ उठाने के लिए समय से पहले योजना बनानी चाहिए। गिरदावली को अद्यतित रखकर किसान फसल बीमा, कृषि ऋण और अन्य सरकारी सहायता प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए गिरदावली का सही रिकॉर्ड होना अनिवार्य है।

6. कृषि संगठनों और सलाहकारों से मदद लें
कई बार गिरदावली के बारे में जानकारी का अभाव किसानों के लिए समस्याएँ उत्पन्न करता है। इसके लिए किसान कृषि संगठनों, सलाहकारों, और स्थानीय पंचायत के सदस्यों से सहायता प्राप्त कर सकते हैं। ये संस्थाएँ किसानों को गिरदावली से संबंधित प्रक्रियाओं में मार्गदर्शन करती हैं और सरकारी योजनाओं की जानकारी भी उपलब्ध कराती हैं।

 7. कानूनी सहायता लें
यदि गिरदावली से संबंधित कोई बड़ा विवाद उत्पन्न होता है या भूमि स्वामित्व पर कोई प्रश्न खड़ा होता है, तो किसान को कानूनी सहायता लेने में देर नहीं करनी चाहिए। किसी वकील की सलाह लेकर किसान अपनी भूमि का सही अधिकार साबित कर सकते हैं और सरकारी नियमों का पालन कर सकते हैं।


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Raj Thakre

Oct. 19, 2024

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स्पाइस मनी (AEPS) NEW UPDET


1. स्पाइस मनी क्या है? 
स्पाइस मनी भारत की अग्रणी डिजिटल भुगतान सेवा है, जो ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं को आसान और सुलभ बनाती है। इस प्लेटफॉर्म का उपयोग आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AePS), माइक्रो एटीएम, धन हस्तांतरण, मोबाइल और डीटीएच रिचार्ज जैसी सेवाओं के लिए किया जाता है। यह सेवा छोटे व्यवसायों और व्यक्तियों को बैंकिंग और डिजिटल वित्तीय सेवाएं प्रदान करने का सरल तरीका है।

2. स्पाइस मनी के फायदे  
- कम निवेश में बिजनेस का अवसर: स्पाइस मनी एजेंट बनने के लिए शून्य निवेश के साथ व्यवसाय शुरू किया जा सकता है।
- आसान पंजीकरण प्रक्रिया: पहचान और पते का प्रमाण जमा करके आसानी से एजेंट बना जा सकता है।
- उच्च कमाई की संभावना: प्रत्येक सेवा पर कमीशन मिलता है, जिससे अच्छी आय हो सकती है।
- सुरक्षित और विश्वसनीय प्लेटफार्म: यह प्लेटफार्म RBI द्वारा अनुमोदित है और कई परतों वाली सुरक्षा प्रदान करता है।

3. स्पाइस मनी एजेंट कैसे बने? 
स्पाइस मनी एजेंट बनने के लिए स्पाइस मनी आईडी की आवश्यकता होती है। इसके लिए उपयोगकर्ता को आधिकारिक वेबसाइट पर पंजीकरण करना होता है। पंजीकरण के बाद, एजेंट को एप्लिकेशन के जरिए सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं और प्रत्येक लेनदेन पर कमीशन अर्जित कर सकते हैं।

4. स्पाइस मनी की सेवाएं  
- धन हस्तांतरण (DMT): उपयोगकर्ता अपने ग्राहकों के लिए तुरंत धन हस्तांतरण कर सकते हैं।
- AePS सेवा: आधार कार्ड के जरिए बैंकिंग सेवाएं प्राप्त कर सकते हैं, जैसे निकासी और बैलेंस चेक।
- बिल पेमेंट: विभिन्न प्रकार के बिलों का भुगतान किया जा सकता है।
- माइक्रो एटीएम: नकद निकासी और जमा की सुविधा।

Commission List of Aadhaar Enabled Payment Service
Amount
Commission
Rs.200 – Rs.999 Rs. 0.50
Rs.1000 – Rs.1499 Rs . 1
Rs.1500 – Rs. 1999 Rs. 3
Rs.2000 – Rs. 2499 Rs. 4
Rs.2500 – Rs. 2999 Rs. 5
Rs.3000 – Rs. 7999 Rs. 7
Rs.8000 & Above Rs. 10


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Raj Thakre

Oct. 18, 2024

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मध्य प्रदेश में 2024-25 धान खरीद: दिनॉक


मध्य प्रदेश में 2024-25 धान खरीद: तिथियां, प्रक्रिया और MSP के बारे में पूरी जानकारी

मध्य प्रदेश में 2024-25 के खरीफ सत्र के लिए धान खरीद की प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है। यह लेख आपको धान खरीद की तिथि, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), पंजीकरण प्रक्रिया, और खरीद केंद्रों के बारे में सभी जरूरी जानकारी देगा। मध्य प्रदेश सरकार ने धान खरीद को पारदर्शी और सुगम बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं ताकि किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य मिल सके।

 धान खरीद की तिथि: मध्य प्रदेश 2024-25

मध्य प्रदेश में धान खरीद 19 नवंबर 2024 से शुरू होगी और 10 जनवरी 2025 तक चलेगी। सरकार ने सभी जिलों में खरीद केंद्र स्थापित किए हैं, जहां किसान अपनी फसल निर्धारित समय पर बेच सकते हैं। यह तिथियां राज्य में कटाई के समय और फसल की तैयारी के अनुसार तय की गई हैं ताकि सभी किसानों को अपनी फसल बेचने का पर्याप्त समय मिल सके।

 न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2024-25

धान के लिए सरकार ने 2024-25 के सत्र में MSP निर्धारित किया है, ताकि किसानों को बाजार की अस्थिरता से बचाया जा सके। इस साल के लिए घोषित MSP इस प्रकार हैं:
- साधारण धान: ₹2,300 प्रति क्विंटल
ग्रेड-ए धान: ₹2,320 प्रति क्विंटल

यह MSP सुनिश्चित करता है कि किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम मूल्य मिलेगा, भले ही बाजार में कीमतें कम क्यों न हों। 

धान खरीद प्रक्रिया: पंजीकरण और दस्तावेज़

मध्य प्रदेश में धान बेचने के लिए किसानों को पंजीकरण कराना अनिवार्य है। बिना पंजीकरण के कोई भी किसान अपनी फसल खरीद केंद्र पर नहीं बेच सकता। पंजीकरण प्रक्रिया ऑनलाइन होगी, जिसे राज्य के कृषि पोर्टल पर किया जा सकता है। पंजीकरण के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है:
आधार कार्ड या पहचान पत्र
- बैंक खाता विवरण (बैंक पासबुक)
- भूमि के दस्तावेज (खसरा, खतौनी)
- पंजीकरण प्रमाण पत्र

पंजीकरण के बाद, किसान को राज्य सरकार द्वारा स्थापित खरीद केंद्र पर अपनी फसल लेकर जाना होगा, जहां नमी और गुणवत्ता की जांच की जाएगी। धान में नमी की मात्रा अधिकतम 17% होनी चाहिए। यदि धान में नमी का स्तर अधिक होता है तो उसे अस्वीकार कर दिया जाएगा।

धान की गुणवत्ता और भुगतान प्रक्रिया

धान की गुणवत्ता जांचने के बाद, केंद्र पर स्वीकार किए गए धान का भुगतान सीधे किसान के बैंक खाते में DBT (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से किया जाएगा। सरकार ने भुगतान प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाने के लिए यह व्यवस्था की है ताकि किसानों को समय पर उनकी फसल का मूल्य मिल सके।

किसानों के लिए जरूरी सुझाव

1. समय पर पंजीकरण करें: पंजीकरण प्रक्रिया अनिवार्य है, इसलिए किसान समय रहते राज्य के पोर्टल पर जाकर अपना पंजीकरण कराएं।
   
2. धान को अच्छी तरह सुखाएं: धान की नमी 17% से अधिक न हो, इसके लिए फसल की कटाई के बाद उसे अच्छी तरह से सुखाना बेहद जरूरी है। इससे खरीद केंद्र पर फसल की जांच में कोई समस्या नहीं होगी।

3. सभी दस्तावेज तैयार रखें: खरीद केंद्र पर पंजीकरण से जुड़े दस्तावेज और पहचान पत्र साथ ले जाएं ताकि किसी प्रकार की परेशानी न हो।

4. खरीद केंद्र पर समय से जाएं: धान खरीद प्रक्रिया के दौरान भीड़ और लंबी कतारों से बचने के लिए समय पर खरीद केंद्र पहुंचना फायदेमंद होगा।

निष्कर्ष

मध्य प्रदेश में 2024-25 के धान खरीद अभियान के तहत राज्य सरकार ने किसानों के हित में कई आवश्यक कदम उठाए हैं। MSP में बढ़ोतरी, DBT के माध्यम से पारदर्शी भुगतान, और खरीद केंद्रों पर गुणवत्तापूर्ण जांच जैसे उपायों से किसानों को फसल का उचित मूल्य मिलेगा। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे समय पर पंजीकरण कराएं, गुणवत्ता मानकों का पालन करें, और अपनी फसल बेचने के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज तैयार रखें।

धान खरीद प्रक्रिया की पूरी जानकारी के साथ, यह सुनिश्चित करें कि आप सरकारी निर्देशों का पालन करते हुए अपनी फसल का लाभ उठाएं।


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Raj Thakre

Oct. 18, 2024

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आउटडोर फोटोग्राफी: संपूर्ण गाइड [2024]


 

आउटडोर फोटोग्राफी में प्राकृतिक रोशनी, मौसम, और परिदृश्यों का उपयोग कर अद्वितीय शॉट्स कैप्चर किए जाते हैं। अगर आप बेहतरीन आउटडोर फोटो खींचना चाहते हैं, तो इस गाइड में आपको जरूरी टिप्स और ट्रिक्स मिलेंगे।

1. प्राकृतिक रोशनी का सही उपयोग
आउटडोर फोटोग्राफी के लिए प्राकृतिक रोशनी सबसे महत्वपूर्ण है। सुबह और शाम की गोल्डन ऑवर में हल्की और गर्म रोशनी आपके फोटोज़ में गहराई और सौंदर्य लाती है। दोपहर की कड़ी धूप में छाया को सही तरीके से मैनेज करें ताकि आउटडोर शॉट्स में स्पष्टता आए।

 2. उपकरण का सही चयन 
आउटडोर फोटोग्राफी के लिए सही कैमरा और लेंस चुनना जरूरी है। 
- डीएसएलआर या मिररलेस कैमरा के साथ वाइड-एंगल लेंस परफेक्ट हैं। 
ट्राइपॉड कम रोशनी में स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है, खासकर लैंडस्केप शॉट्स के लिए।
- एनडी फिल्टर और पोलराइज़र का उपयोग करें, जिससे प्राकृतिक रंग और कंट्रास्ट में सुधार हो।

3. कंपोज़िशन टिप्स 
एक बेहतरीन आउटडोर फोटो के लिए अच्छी कंपोज़िशन महत्वपूर्ण है। 
रूल ऑफ थर्ड्स का उपयोग कर फ्रेम को बेहतर बनाएं।
- लीडिंग लाइन्स (जैसे सड़कें या नदी) के जरिए दृष्टिकोण को फोकस करें।
- प्राकृतिक फ्रेमिंग का उपयोग करें, जैसे पेड़ों की शाखाएं या खिड़कियां, ताकि आपका विषय स्पष्ट रूप से उभरे।

4. मौसम का प्रभाव
मौसम बदलने के साथ आपके फोटो का मूड भी बदलता है। कोहरे बारिश, और बादलों का सही उपयोग करने से आपके फोटो में अनोखा और प्राकृतिक इफेक्ट आ सकता है। आउटडोर फोटोग्राफी के लिए विभिन्न मौसमों का अन्वेषण करें और बेहतरीन शॉट्स कैप्चर करें।

5. शटर स्पीड और एक्सपोज़र
आउटडोर फोटोग्राफी में बदलती रोशनी के साथ शटर स्पीड और एक्सपोज़र को सही ढंग से सेट करना जरूरी है। 
- तेज शटर स्पीड से आप चलती वस्तुओं को कैप्चर कर सकते हैं।
- धीमी शटर स्पीड का उपयोग मूविंग पानी या बादलों की खूबसूरती दिखाने के लिए करें।

6. स्थानीय दृश्य और जीवन
स्थानीय जगहों और समुदायों की अनदेखी सुंदरता को कैप्चर करना आउटडोर फोटोग्राफी का मुख्य उद्देश्य है। स्थानीय संस्कृतिऔर प्राकृतिक परिदृश्यों को तस्वीरों में जीवंत करें। 

7. एडिटिंग टिप्स
फोटो कैप्चर करने के बाद, एडिटिंग का सही तरीके से उपयोग करें। कलर बैलेंसएक्सपोज़र और शार्पनेस को सही ढंग से एडजस्ट करें। कोशिश करें कि फोटो की प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखें और ज्यादा एडिटिंग से बचें।

निष्कर्ष:
आउटडोर फोटोग्राफी रोमांचक और रचनात्मक फोटोग्राफी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस गाइड के माध्यम से, आप प्राकृतिक रोशनी, कंपोज़िशन, और मौसम का सही उपयोग करके अपने आउटडोर फोटोशूट को और भी बेहतर बना सकते हैं। 


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Raj Thakre

Oct. 18, 2024

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सहकारिता में वेतन के लिए संघर्षरत कर्मचारी: कारण, प्रभाव और समाधान


सहकारिता में वेतन संघर्ष एक बड़ा मुद्दा बन चुका है, जिसमें कर्मचारियों को समय पर वेतन न मिलने और सुविधाओं की कमी के कारण असंतोष बढ़ रहा है। यह समस्या न केवल कर्मचारियों के व्यक्तिगत जीवन पर असर डाल रही है, बल्कि सहकारी संगठनों की कार्यक्षमता और सामुदायिक विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। इस लेख में हम सहकारिता संगठनों में वेतन संघर्ष के प्रमुख कारण, इसके प्रभाव और समाधान के सुझावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

 सहकारिता संगठनों में वेतन संघर्ष के प्रमुख कारण

1. अवसरों की कमी: सरकारी और निजी क्षेत्रों की तुलना में सहकारिता संगठनों में कर्मचारियों के लिए अवसर सीमित होते हैं, जिससे उनका वेतन अपेक्षाकृत कम रहता है।
   
2. वित्तीय संकट: कई सहकारी समितियाँ वित्तीय कुप्रबंधन और घाटे में चल रही हैं, जिससे कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पाता है।

3. प्रशासनिक उपेक्षा: उच्च स्तर पर प्रशासनिक उदासीनता के कारण कर्मचारियों के वेतन और सुविधाओं पर उचित ध्यान नहीं दिया जाता है।

4. नियामकीय बाधाएँ: सरकारी नियमों और नीतियों के अनुपालन में समस्याएँ आने से सहकारिता संगठनों की कार्यप्रणाली बाधित होती है, जिसका सीधा असर वेतन पर पड़ता है।

वेतन संघर्ष का प्रभाव

- उत्पादकता में कमी: समय पर वेतन न मिलने से कर्मचारियों का मनोबल गिरता है, जिससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
  
- ग्रामीण विकास पर असर: सहकारी समितियों और बैंकों में व्यवधान उत्पन्न होने से **किसानों** और छोटे व्यापारियों को नुकसान होता है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में इन संगठनों पर निर्भर रहते हैं।

- संगठनों की छवि पर असर: लंबे समय तक चलने वाले वेतन आंदोलन सहकारी संगठनों की साख और विश्वसनीयता को नुकसान पहुँचाते हैं।

वेतन संघर्ष के समाधान के सुझाव

1. वेतन संरचना में सुधार: सहकारी संगठनों में कर्मचारियों के वेतन ढाँचे को सुधारा जाए, ताकि उन्हें सरकारी और निजी क्षेत्रों के समान अवसर मिल सकें।

2. नियमित वित्तीय समीक्षा: सहकारी समितियों के वित्तीय प्रबंधन की नियमित समीक्षा और निगरानी से अनियमितताओं को दूर किया जा सकता है।

3. सरकारी सहायता: सरकार को सहकारी संगठनों को वित्तीय संकट से उबारने के लिए विशेष योजनाएँ बनानी चाहिए।

4. कर्मचारियों के अधिकारों की सुरक्षा: सहकारी कर्मचारियों के वेतन और अधिकारों की सुरक्षा के लिए कानूनी प्रावधान किए जाने चाहिए, ताकि उनका शोषण न हो सके।

सहकारिता में वेतन संघर्ष:  एक गंभीर समस्या है, जिसका समय रहते समाधान किया जाना आवश्यक है। सहकारी संगठनों के कर्मचारियों का वेतन संघर्ष न केवल उनके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है, बल्कि सामुदायिक विकास और संगठन की सफलता पर भी गहरा असर डालता है। इस समस्या का समाधान सरकार, सहकारी संगठन और कर्मचारियों के सामूहिक प्रयासों से ही संभव हो सकता है।


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Raj Thakre

Oct. 17, 2024

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धान खरीद मूल्य: MSP, खरीद प्रक्रिया और चुनौतियाँ


धान खरीद मूल्य: MSP, खरीद प्रक्रिया और चुनौतियाँ

धान खरीद मूल्य (Minimum Support Price - MSP) किसानों के लिए सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल्य है, जिस पर उनकी फसल खरीदी जाती है। भारत में धान एक प्रमुख फसल है, और इसके उत्पादन व खरीद प्रक्रिया का सीधा संबंध किसानों की आय और कृषि क्षेत्र की समृद्धि से है। MSP किसानों को उनकी लागत से अधिक मूल्य देकर सुरक्षा प्रदान करता है, ताकि वे अपनी फसल बाजार के अस्थिर भाव से प्रभावित हुए बिना बेच सकें। इस लेख में हम धान खरीद मूल्य, उसकी प्रक्रिया, और MSP से जुड़ी प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा करेंगे।

धान खरीद मूल्य (MSP) क्या है?

धान का खरीद मूल्य किसानों को उनकी उपज के लिए न्यूनतम मूल्य प्रदान करने का एक सरकारी प्रयास है। MSP सरकार द्वारा तय की गई वह राशि है, जिस पर किसान अपनी फसल सरकारी एजेंसियों को बेच सकते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के लिए उचित मूल्य देना और उन्हें बाजार की अस्थिरता से सुरक्षा प्रदान करना है।

 MSP का निर्धारण कैसे होता है?

भारत सरकार के कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) द्वारा धान का MSP निर्धारित किया जाता है। CACP निम्नलिखित कारकों को ध्यान में रखकर MSP की सिफारिश करता है:

1. उत्पादन लागत
2. बाजार में आपूर्ति और मांग
3. किसानों की आजीविका और आय
4. कृषि क्षेत्र की स्थिति
5. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में धान की कीमतें

CACP का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि किसानों को उनकी लागत के आधार पर लाभ मिल सके और उन्हें खेती करने के लिए प्रोत्साहन मिले।

धान की खरीद प्रक्रिया

धान खरीदने के लिए सरकार ने एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया बनाई है, जिसमें मुख्य रूप से तीन चरण होते हैं:

1. सरकारी एजेंसियों की भूमिका : भारतीय खाद्य निगम (FCI), राज्य सरकार की मंडियां, और सहकारी समितियाँ धान की खरीद में प्रमुख भूमिका निभाती हैं।
   
2. किसानों की भागीदारी : किसान अपनी फसल को मंडियों में लाकर MSP पर बेचते हैं। इसके बाद खरीदी गई फसल का भंडारण और वितरण किया जाता है।

3. भंडारण और वितरण : सरकारी एजेंसियाँ खरीदी गई फसल को सुरक्षित रखती हैं और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से गरीबों तक पहुँचाती हैं।

MSP में बदलाव और चुनौतियाँ

हाल के वर्षों में सरकार ने धान के MSP में बढ़ोतरी की है। हालांकि, कुछ प्रमुख चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं:

1. बाजार की अस्थिरता : बाजार में कीमतें MSP से ऊपर-नीचे होती रहती हैं, जिससे किसानों को उपज बेचने में समस्या आ सकती है।

2. भंडारण की कमी : ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त भंडारण की कमी है, जिससे फसलों को समय पर सुरक्षित रखने में दिक्कत होती है।

3. किसानों की जागरूकता : कई किसान MSP के बारे में पूरी जानकारी न होने के कारण अपनी फसल कम कीमत पर बेचने को मजबूर होते हैं।

सरकार की नीतियाँ और सुधार

धान खरीद प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाने के लिए सरकार कई योजनाएँ चला रही है, जैसे डिजिटल मंडियों की स्थापना, किसानों को सीधे लाभ पहुंचाने के लिए नकद सहायता, और MSP को अधिक पारदर्शी बनाने के प्रयास। इसके साथ ही भंडारण सुविधाओं में सुधार और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को भी सुदृढ़ किया जा रहा है।

निष्कर्ष

धान खरीद मूल्य किसानों की आर्थिक स्थिति और कृषि क्षेत्र के विकास में अहम भूमिका निभाता है। हालांकि, MSP से जुड़े कई लाभ हैं, फिर भी किसानों को बाजार की अस्थिरता, भंडारण की समस्याएँ, और जागरूकता की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। MSP प्रणाली को और बेहतर बनाने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है, ताकि किसान सशक्त हो सकें और कृषि क्षेत्र का समग्र विकास हो सके।

धान खरीद कि नितियॉ
1. धान खरीद मूल्य
2. धान MSP
3. धान समर्थन मूल्य
4. MSP क्या है
5. धान की खरीद प्रक्रिया
6. किसानों की MSP
7. कृषि में धान खरीद
8. भारत में धान समर्थन मूल्य
9. MSP के फायदे
10. धान खरीद मूल्य 2024

FAQs (Frequently Asked Questions)
1. धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) क्या होता है?
   MSP वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदती है।

2. धान का MSP कैसे निर्धारित होता है?
   कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) विभिन्न कारकों के आधार पर MSP की सिफारिश करता है।

3. धान की खरीद प्रक्रिया क्या है?
   सरकार द्वारा नियुक्त एजेंसियाँ किसानों से MSP पर धान खरीदती हैं और भंडारण व वितरण की प्रक्रिया पूरी करती हैं। 

4. धान खरीद मूल्य 2024 में क्या बदलाव हुए हैं?
   हर साल सरकार धान के MSP में परिवर्तन करती है, और 2024 में भी MSP में वृद्धि की संभावना है।

 


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Raj Thakre

Oct. 17, 2024

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किसान कल्याण तथा कृषि विभाग: योजनाएं, उद्देश्य और लाभ