तीसरा हिमयुग-
पृथ्वी पर तीसरा हिमयुग आज से लगभग 2 लाख वर्ष पूर्व आरंभ हुआ था,तीसरे हिम युग में पहले हिमयुग से अधिक और दूसरे से कम बर्फ कम समय तक पड़ी थी,आग को प्रयोग करने और खालों के वस्त्र बनाने के कारण, हिमयुग अपूर्ण मानव को अधिक नहीं सता पाया,रोंयेदार खालों के चोंगे पहनकर,वह ठण्ड में काम कर सकता था और अग्नि कुण्ड द्वारा सामूहिक रूप में आग का इस्तेमाल करता था,
कुछ पूर्ण मानव कालांतर में जो सफल संकरण अपूर्ण मानव की संतानों में हुए,उन संकरणों के फलस्वरूप 2 प्रकार के कुछ पूर्ण मानव विकसित हुए,आज से लगभग एक लाख वर्ष पूर्व संकरित,इनमें से कुछ पूर्ण मानव के अवशेष अफ्रीका,यूरोप और एशिया के अनेक स्थानों की खुदाई में सुरक्षित मिले हैं,उस समय तीसरा हिमयुग समाप्त हो गया था,उत्तरी गोलार्ध का जलवायु फिर से गरम हो गया था और गरम जलवायु के चौपाए पूरे यूरोप में रहने लगे थे,तीसरे और चौथे हिमयुग के बीच गरम जलवायु लगभग 1.25 लाख वर्षों तक रहा है,इस लंबे समय में कुछ पूर्ण मानव की संतान ने बहुत विकास किया था,उनकी एक नस्ल को विज्ञान में नियंडरथल (Neanderthal) मानव कहा जाता है,इसके 70 हजार वर्ष पुराने अवशेष उत्तरी अफ्रीका,यूरोप तथा उत्तरी एशिया में सुरक्षित पाए गए हैं.
उक्त पूर्ण से मानव ने,अपनी एक काम चलाऊ सभ्यता को जन्म दिया,इससे पूर्व मुर्दों को ऐसे ही छोड़कर कबीला चला जाता था, परंतु उन लोगों ने अपने मुर्दों को जमीन में गाड़ना आरंभ कर दिया,इसका मस्तिष्क कुछ और बढ़ गया था तथा अधिक जटिल हो गया था,इसके शरीर के बाल कुछ छोटे और कुछ कम होकर वर्तमान मानव की भांति,रोंये में बदल गए थे, मुंह के ऊपर भी बालों की संख्या कम हो गई थी, परंतु सर पर अभी भी वनमानुष जैसे ही बाल थे,इसकी गर्दन भी छोटी और खोपड़ी अभी भी चपटी थी,माथा भी अभी छोटा था,ठुड्डी भी नाममात्र की ही थी, मस्तिष्क का आकार,एक हजार
घन सेंटीमीटर से कुछ अधिक था,वह कड़े पत्थरों से सुंदर यंत्र बनाना सीख गया था,संगठित समूह के रूप में आहार एकत्रित करता था,मुर्दा कब्र में दबाते समय वह थोड़ा मांस आदि आहार,उसके साथ दफनाता था, उन कब्रों को वह बड़े पत्थरों से ढंकता था,इन पत्थर से ढकी कब्रों के कारण ही बड़ी संख्या में इनके अवशेष मिले हैं-
...." जनता "
दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है, भारत का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है। यह रोशनी का पर्व है, जो अच्छाई की बुराई पर विजय, समृद्धि, और खुशहाली का प्रतीक है। इस लेख में हम दीपावली के धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक महत्व के साथ इसके पर्यावरणीय प्रभाव और आधुनिक तरीकों पर चर्चा करेंगे।
दीपावली का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
दीपावली हिंदू धर्म के साथ-साथ जैन, सिख, और बौद्ध धर्म में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है:
1. हिंदू धर्म: भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है।
2. जैन धर्म: भगवान महावीर के मोक्ष प्राप्ति के दिन के रूप में मनाया जाता है।
3. सिख धर्म: गुरु हरगोबिंद सिंह जी की रिहाई का दिन है।
4. बौद्ध धर्म: सम्राट अशोक के बौद्ध धर्म अपनाने की खुशी में मनाया जाता है।
दीपावली के पाँच दिन
दीपावली पाँच दिनों का त्योहार है, जिसमें हर दिन का अपना महत्व है:
1. धनतेरस: धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
2. नरक चतुर्दशी: इस दिन बुराई का नाश होता है।
3. दीपावली: लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती है।
4. गोवर्धन पूजा: भगवान कृष्ण के गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा।
5. भाई दूज: भाई-बहन के प्रेम का पर्व।
पर्यावरणीय प्रभाव और ग्रीन दिवाली
फटाकों के इस्तेमाल से वायु और ध्वनि प्रदूषण होता है, जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ग्रीन दिवाली का उद्देश्य है कि हम बिना प्रदूषण के दीपावली मनाएं, जैसे कि बिना फटाकों के, प्राकृतिक सजावट, और पर्यावरण के अनुकूल तरीकों का इस्तेमाल।
दीपावली का आर्थिक महत्व
दीपावली के समय व्यापार में वृद्धि होती है। धनतेरस के दिन लोग बर्तन और आभूषण खरीदते हैं, जो व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ाता है। इस समय खरीदारी के कारण बाजारों में भारी रौनक होती है।
निष्कर्ष
दीपावली का त्योहार केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह त्योहार हमें अंधकार से प्रकाश की ओर, बुराई से अच्छाई की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है। साथ ही, ग्रीन दिवाली का संदेश पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने में मदद करता है।
Diwali Wishes In Hindi 2024: भारत में दीपावली का त्योहार बहुत खास होता है। हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह पर्व न केवल खुशियों और उल्लास से भरा होता है, बल्कि परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर मनाने का अवसर भी है। दिवाली का मतलब है बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की जीत। इस दिन लोग अपने घरों को दीयों और रंगोली से सजाते हैं, पटाखे फोड़ते हैं, और अपनों के साथ मिलकर मिठाइयाँ बाँटते हैं। ऐसे में आप भी अपने प्रियजनों को खास और स्नेहभरी शुभकामनाएं देकर उनकी दिवाली को और भी यादगार बना सकते हैं।
1. दीपों की रोशनी, खुशियों की बहार; चांदनी की चादर, अपनों का प्यार। मुबारक हो आपको दीपावली का त्योहार!
2. माँ लक्ष्मी का आपके घर में वास हो, आपके जीवन में अपार खुशियों का आगाज हो। दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं!
3. रौशन हो दीपक और सारा जहाँ, ले साथ आपके खुशियाँ और कामयाबी का कारवाँ। आपको दिवाली की हार्दिक बधाई!
4. दीप जलते रहे और मन से मन मिलते रहें, घर में सदा सुख-शांति का वास रहे। हैप्पी दिवाली 2024!
5. इस दिवाली, लक्ष्मी माँ का आपके घर आगमन हो और सुख-समृद्धि का वास हो। दिवाली की अनगिनत शुभकामनाएं!
6. दीपों की जगमगाहट आपके जीवन को रोशन करे, खुशियों और सफलता का हर सपना साकार हो। इस दिवाली आप सबके चेहरे पर सजी मुस्कान यूँ ही बनी रहे। शुभ दीपावली!
7. इस दिवाली माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद आपके घर को समृद्धि और आनंद से भर दे। हर दीपक आपके जीवन में नए सुख और समृद्धि का प्रकाश लाए। हैप्पी दिवाली!
8. इस साल की दिवाली आपके जीवन में खुशियों की बौछार लाए, और हर दिन नया उजाला फैलाए। आपको और आपके परिवार को दिवाली की अनंत शुभकामनाएँ!
9. जैसे दीयों की लौ हर अंधेरे को मिटाती है, वैसे ही आपके जीवन में हर निराशा का अंत हो और सिर्फ उम्मीदों की रौशनी बनी रहे। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
10. आपका जीवन इस दिवाली की तरह ही रौशन हो, सुख-शांति और समृद्धि का हमेशा साथ बना रहे। इस खास दिन पर आपको और आपके परिवार को ढेर सारी खुशियाँ।
11. इस पावन पर्व पर आपकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हों, और हर दीपक आपके जीवन में नई ऊर्जा भर दे। आपको और आपके अपनों को दिवाली की अनंत शुभकामनाएँ!
12. रंगोली की सुंदरता, दीपों की रौशनी और पटाखों की गूँज आपके जीवन को खुशियों से भर दे। आपके घर में सदा सुख-शांति का वास हो। शुभ दीवाली!
13. जैसे दीयों से सजी ये रात प्यारी है, वैसे ही आपका जीवन हमेशा खुशी और आनंद से भरा रहे। इस दिवाली आपको ढेर सारी प्रेम और शुभकामनाएँ!
14. माँ लक्ष्मी की कृपा से आपका घर धन, ऐश्वर्य और खुशियों से भरा रहे। दीपावली का ये पर्व आपके हर सपने को पूरा करने का आशीर्वाद लाए। शुभ दीपावली!
15. इस दिवाली पर हर पल आपके जीवन को नई दिशा दे, रिश्तों में प्यार और आपके जीवन में सुख-समृद्धि हमेशा बनी रहे। आपको और आपके परिवार को दिवाली की ढेर सारी शुभकामनाएँ!
इस दिवाली आप भी अपने प्रियजनों को इन विशेष संदेशों के माध्यम से शुभकामनाएं भेजकर उनके चेहरे पर मुस्कान ला सकते हैं। दिवाली केवल रोशनी का पर्व ही नहीं, बल्कि यह लोगों को एक-दूसरे के साथ प्रेम और सौहार्द बांटने का अवसर भी देता है।
बजरंग दल: हिन्दू संस्कृति और इसके उद्देश्य
बजरंग दल एक प्रमुख हिन्दू राष्ट्रवादी संगठन है, जो विश्व हिन्दू परिषद (VHP) का युवा विंग है। इसकी स्थापना 1984 में उत्तर प्रदेश में हुई थी। बजरंग दल का नाम भगवान हनुमान से लिया गया है, जो हिन्दू धर्म में शक्ति, भक्ति और साहस का प्रतीक माने जाते हैं। यह संगठन हिन्दू धर्म, संस्कृति, और परंपराओं की रक्षा करने के उद्देश्य से काम करता है।
बजरंग दल का उद्देश्य और कार्य
बजरंग दल के कार्य मुख्यतः हिन्दू धर्म और संस्कृति की सुरक्षा के इर्द-गिर्द केंद्रित हैं। इसके प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं:
1. गौ रक्षा: यह संगठन गौ रक्षा अभियान चलाता है, जो गोहत्या और गोतस्करी के खिलाफ कार्य करता है।
2. धार्मिक स्थलों की सुरक्षा: मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और उनकी देखरेख करना।
3. हिन्दू युवाओं में जागरूकता: हिन्दू धर्म के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन।
4. राष्ट्रीय एकता और अखंडता: भारत की सांस्कृतिक एकता को बनाए रखना और राष्ट्रवाद को बढ़ावा देना। बजरंग दल और विवाद
बजरंग दल को कई बार विवादों का सामना भी करना पड़ा है। कई लोग इसे हिन्दू धर्म की रक्षा का समर्थक मानते हैं, जबकि अन्य इसे धार्मिक असहिष्णुता और हिंसा को बढ़ावा देने वाला संगठन मानते हैं। इसके कुछ कार्यों की आलोचना भी होती है, लेकिन इसके समर्थकों का मानना है कि यह संगठन हिन्दू संस्कृति की रक्षा में अहम भूमिका निभाता है।
निष्कर्ष
बजरंग दल भारत में हिन्दू संस्कृति, परंपराओं और धर्म की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध संगठन है। इसके समर्थक इसे हिन्दू धर्म के प्रति समर्पण और सुरक्षा का प्रतीक मानते हैं।
12 Jyotirlinga Name And Place: भारत, आध्यात्मिकता और धार्मिक आस्था की भूमि, भगवान शिव के अनन्य भक्तों के लिए एक पवित्र धरोहर समेटे हुए है—12 ज्योतिर्लिंग। यह 12 ज्योतिर्लिंग न केवल धार्मिक यात्रा के केंद्र हैं, बल्कि वे शिव की अपार शक्ति और दिव्यता का साक्षात्कार करने के स्थान माने जाते हैं। प्रत्येक ज्योतिर्लिंग के पीछे अनोखी पौराणिक कथाएँ और अद्वितीय महत्व छिपा है, जो इसे खास बनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से व्यक्ति के समस्त कष्टों का निवारण होता है और वह शिव की कृपा से मोक्ष प्राप्त कर सकता है। आइए, शिव की आराधना के इन 12 पवित्र स्थलों के अद्भुत रहस्यों और धार्मिक महत्त्व को विस्तार से जानें।
भारत में 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों का विशेष धार्मिक महत्व है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के भक्तों के लिए प्रमुख तीर्थस्थल हैं। इनका दर्शन करने से व्यक्ति को शिव की कृपा प्राप्त होती है। प्रत्येक ज्योतिर्लिंग एक विशेष कथा और धार्मिक मान्यता से जुड़ा हुआ है। यहाँ भारत के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों के नाम और स्थानों का विवरण दिया गया है।
सोमनाथ मंदिर भारत का पहला ज्योतिर्लिंग मंदिर है, जिसे चालुक्य शैली में बनाया गया है। यह मंदिर गुजरात के काठियावाड़ जिले के वेरावल क्षेत्र में अरब सागर के तट पर स्थित है। यहाँ हर साल हजारों श्रद्धालु भगवान शिव का दर्शन करने आते हैं, और महाशिवरात्रि के मौके पर यहाँ खासतौर पर भारी भीड़ होती है।
आंध्र प्रदेश के कृष्णा नदी के किनारे स्थित मलिक्कार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैल पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व सतवाहन साम्राज्य से जुड़ा है, और छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी इस मंदिर की देखरेख में योगदान दिया था। इसके पास एक शक्तिपीठ भी स्थित है.
उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहाँ प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं। महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से भस्म से की जाती है, जो इस मंदिर की अनूठी विशेषता है।
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के किनारे मंधाता पर्वत पर स्थित है। यह तीन मंजिला मंदिर अपने अद्वितीय स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध है और भक्तों के बीच लोकप्रिय है।
झारखण्ड के संथाल परगना क्षेत्र में स्थित बाबा बैधनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इसे 51 शक्तिपीठों में भी शामिल किया गया है और भगवान शिव के भक्त इसे अत्यंत पवित्र मानते हैं।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पुणे के खेड़ तालुका में स्थित है और भीमा नदी के पास समहाद्री पर्वत के करीब है। यह मंदिर अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व का प्रतीक है।
तमिलनाडु के कन्याकुमारी क्षेत्र में स्थित रामेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व अत्यधिक है। भगवान राम और विभीषण की पहली मुलाकात यहाँ हुई थी, और वानर सेना के लिए बनाए गए 24 कुएँ आज भी इस मंदिर की शोभा बढ़ाते हैं।